Uttar Pradesh

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा-यूपी के ज्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा,संविधान का नहीं हो रहा पालन

देश में आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है। भाजपा की सरकार ने इस अवसर पर बड़ा आयोजन किया है, जबकि बहुजन समाज पार्टी के साथ ही अन्य दल इसका विरोध कर रहे हैं। बसपा मुखिया ने तो देश में संविधान का ठीक से पालन ना होने के विरोध में संविधान दिवस कार्यक्रम में शामिल ना होने का फैसला किया है।

मायावती ने कहा कि परम पूजनीय डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी ने भारतीय संविधान में देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों को विशेषकर शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों आदि में आरक्षण एवं अन्य जरूरी सुविधाओं का प्रावधान किया है। उसका पूरा लाभ इन वर्गों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। जिसको लेकर इन वर्गों के लोग और हमारी पार्टी बहुत ज्यादा दुखी है। केन्द्र और राज्य की सभी सरकारें इस वर्ग पर जरूर ध्यान दें, यह बीएसपी इनको सलाह देती है। इन वर्गों के लोगों को सपा जैसी पार्टियों से जरूर सावधान रहना चाहिए, जिसने एससी और एसटी सम्बंधित बिल को सांसद में फाड़ दिया था। षड्यंत्र के तहत पास भी नहीं होने दिया था। समाजवादी पार्टी जैसी पार्टियां कभी भी इन वर्गों का उत्थान एवं विकास नहीं करना चाहती है। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी और राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि क्या यह पार्टियां संविधान का सही से पालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह लोग इसका सही से पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए हमारी पार्टी ने केन्द्र और राज्य सरकारों के संविधान दिवस मनाने के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि एससी, एसटी तथा ओबीसी वर्ग का ज्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है। एससी एसटी और ओबीसी वर्गों का सरकारी विभागों में अभी भी कोटा अधूरा पड़ा है। शोषित, वंचित एवं गरीब वर्गों के लोगों का आज भी अपने हक के लिए सड़कों पर धरना प्रदर्शन जारी है।

प्राइवेट सेक्टर में भी इन वर्गों के लिए आरक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। केन्द्र और राज्य सरकारें प्राइवेट सेक्टरों में आरक्षण के मामले को लेकर तैयार नहीं है। क्या केन्द्र और राज्य सरकारें संविधान का पालन कर रही है। ऐसी सरकारों को संविधान दिवस मनाने का कतई भी नैतिक अधिकार नहीं है। ऐसी सरकारों को आज इस मौके पर इन वर्गों के लोगों से माफी मांगना चाहिए। अपने देश में हर वर्ग के लोग रहते हैं विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। इन वर्गों के तथा सभी धर्मों के लोगों के लिए जो कानून बने हैं उसका केन्द्र और राज्य सरकार सही से पालन नहीं कर रही है। इनके लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है। केन्द्र और राज्य सरकारे इस मामले में कानून बनाने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी सरकारों को संविधान दिवस मनाने का अधिकार नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि देश में आए दिन गरीबी और महंगाई बढ़ रही है। इस महंगाई से मध्यम वर्ग के लोग बहुत ज्यादा दुखी हैं। केन्द्र और राज्य सरकार मंहगाई कम करने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रही है। किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा हो चुका है। किसानों की और भी अन्य जरूरी मांगे हैं, जो सरकार जल्द से जल्द मान ले यह बीएसपी की मांग है। आज संविधान दिवस के मौके पर केन्द्र व राज्य सरकार इस बात की गहन समीक्षा करें क्या सरकार भारतीय संविधान को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से पालन कर रही है। केन्द्र और राज्य सरकारें संविधान का पालन बिल्कुल नहीं कर रही हैं। 

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