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जानिए भारत में वैक्सीन की हुई कमी या फ‍िर हो रही है स‍ियासत, जाने मामला

भारत में कोरोना वैक्‍सीन अभियान को लेकर केंद्र सरकार ने पूरा जोर लगा दिया है। इस बीच कई राज्‍यों ने वैक्‍सीन की कमी को दूर करने की केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। हालांकि, केंद्र सरकार ऐसी किसी कमी से इन्‍कार कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है क‍ि क्‍या वैक्‍सीन की वाकई कमी है। क्‍या भारत टीकाकरण अभ‍ियान में अपने लक्ष्‍य से पीछे है। टीकाकरण अभ‍ियान के बीच वैक्‍सीन को लेकर केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच स‍ियासत शुरू हो गई है।

क‍िन राज्‍यों ने लगाया वैक्‍सीन की कमी का आरोप

महाराष्‍ट्र, छत्‍तीसगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा ने वैक्‍सीन की आपूर्ति में कमी का आरोप लगाया है। ओडिसा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक ने इस बाबत केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन को पत्र भी लिख डाला। इस पत्र में कहा गया है कि वैक्‍सीन की कमी के कारण 700 टीकाकरण केंद्र को बंद करना पड़ा है। उन्‍होंने केंद्र से 10 दिनों के लिए वैक्‍सीन की 25 लाख खुराक भिजवाने का आग्रह भी किया है।

केंद्र ने कहा कि वैक्‍सीन पर हो रही है सियासत

हालांकि, केंद्र सरकार ने वैक्‍सीन की कमी को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि कुछ राज्‍य इस मामले को लेकर सियासत कर रहे हैं। वैक्‍सीन की कमी की बात करके लोगों में बेवजह अफवाह फैला रहे हैं।

अपने ट्वीट में कहा है कि कुछ राज्‍य 18 वर्ष से अध‍िक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू करने की मांग पर अड़े हैं। उन्‍होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि क्‍या इन राज्‍यों ने अपने प्रदेश में सभी स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों एवं वरिष्‍ठ नागरिकों का टीकाकरण कर लिया है। हर्षवर्धन का पक्ष लेते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी कहा कि राज्‍यों को वैक्‍सीन पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र सरकार वैक्‍सीन पर सियासत कर रही है। उन्‍होंने ट्वीट करके बताया कि महाराष्‍ट्र में अब तक वैक्‍सीन की कुल 1,06,19,190 खुराक भेजी जा चुकी है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने DCGI द्वारा आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण दिए जाने के बावजूद #Covaxin का उपयोग करने से इनकार कर दिया।

 क्‍या कहते हैं वैक्‍सीन निर्माता

वैक्‍सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि अमेरिका और यूरोप ने वैक्‍सीन बनाने के लिए जरूरी कच्‍चे माल के निर्यात पर रोक लगा दी है। सीरम के सीइओ अदार पूनावाला ने कहा है कि इसका वैक्‍सीन के उत्‍पादन पर असर पड़ा है। उधर, एस्‍ट्राजेनेका ने वैक्‍सीन सप्‍लाई में हो रही देरी को लेकर अपनी भारतीय सहयोगी कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट को लीगल नोटिस भी भेजा है। सीरम कंपनी का कहना है कि केंद्र सरकार के वैक्‍सीन के निर्यात पर रोक लगाए जाने के कारण उसे वैक्‍सीन ब्रिटेन भेजने में देरी हो रही है।

भारत की वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी पर उठा सवाल

भारत की वैक्‍सीन डिप्‍लोमेसी का लोहा दुनिया ने माना है। खुद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भारत की तारीफ की है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत ने वैक्‍सीन मैत्री के तहत अब तक 6.45 करोड़ वैक्‍सीन की डोज का निर्यात किया है। इनमें से 1.04 करोड़ खुराके अनुदान के तौर पर जबकि 3.57 करोड़ खुराकें व्‍यापारिक तौर पर निर्यात की गई है। 1.82 खुराक संयुक्‍त राष्‍ट्र की कोवैक्‍स पहल के अंतर्गत निर्यात की गई है।

वैक्‍सीन पर सियासत

भारत में अब तक सिर्फ दो वैक्‍सीन को मंजूरी दी है। इसमें सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्‍सफोर्ड एक्‍ट्रोजेनेका की कोविशील्‍ड प्रमुख है। इसके अलावा भारत बायोटिक की स्‍वदेशी कोवैक्‍सीन है। सीरम कंपनी महीने में करीब 65 करोड़ खुराकें ही बना सकती है। उसे कोवैक्‍स कार्यक्रम के तहत निम्‍न आयवर्ग वाले देशों को भी दो अरब खुराक पहुंचानी है।

कोवैक्‍सीन भारत में  मौजूद वैक्‍सीन का महज 10 फीसद है। केंद्र सरकार ने मार्च महीने में कोवैक्‍सीन की सिर्फ दो करोड़ खुराक का आर्डर दिया था। भारत सरकार ने जुलाई, 2021 तक वैक्‍सीन की 50 करोड़ खुराक देने का लक्ष्‍य रखा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच इस लक्ष्‍य को हासिल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।

भारत में अब तक फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना की वैक्‍सीन को एंट्री नहीं दी है। इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सीरम कंपनी की एक महीने में वैक्‍सीन के छह से सात करोड़ डोज उत्‍पादन की क्षमता है। अगले महीने में वैक्‍सीन के मासिक उत्‍पादन का लक्ष्‍य 10 करोड़ खुराक तक बढ़ा सकता है।

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