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जब हनुमान जी को मृत्यु दंड देने के लिए तैयार हो गए थे श्री राम, जानें कैसे बची थी जान

हिन्दू धर्म के महान ग्रंथ रामायण के कई ऐसे किस्से हैं जिनसे आप वाकिफ नहीं होंगे। रामायण सभी को पढ़नी चाहिए क्योंकि यह बहुत सी बातों की सीख देती है। वैसे हम सभी जानते हैं कि हनुमान प्रभु राम के सबसे बड़े और प्रिय भक्त थे। लेकिन कुछ ऐसा भी हुआ था जब श्री राम हनुमान जी को मारने के लिए तैयार हो गए थे। आज हम आपको उसी घटना की कहानी बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

कथा- एक बार सभी महान संत और ब्राह्मण गण सभा में उपस्थित हुए। देव ऋषि नारद, वशिष्ठ विश्वामित्र जैसे बड़े-बड़े विद्वान चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे कि क्या राम का नाम श्री भगवान राम के अस्तित्व से बड़ा है? संकट मोचन हनुमान भी इसी सभा में मौजूद थे लेकिन वो कुछ बोल नहीं रहे थे। चुपचाप मौन अवस्था में वो मुनिगणों की चर्चा को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे। नारद का मत था कि भगवान राम का नाम स्वयं भगवान राम से भी बड़ा है और ये साबित करने का दावा भी किया। अब चर्चा समाप्त हुई तो सभी साधु संतों के जाने का समय हुआ।

नारद जी ने चुपके से हनुमान को सभी ऋषियों का सत्कार करने के लिए कहा सिवाय विश्वामित्र के। दलील ये दी कि विश्वामित्र तो एक राजा हैं। हनुमान ने बारी बारी से सबका अभिनन्दन किया पर जैसा नारद ने समझाया था विश्वामित्र को जानबूझ कर अनदेखा कर दिया। अपना उपहास देखकर विश्वामित्र क्रोधित हो उठे। वो गुस्से से तमतमा रहे थे। विश्वामित्र ने राम भक्त हनुमान की इस गलती के लिए मृत्यु दंड देने का वचन लिया। भगवान राम हनुमान से बहुत प्रेम करते थे लेकिन विश्वामित्र भी उनके गुरु थे। गुरु की आज्ञा न टल जाए इसलिए राम ने हनुमान को मृत्युदंड देने का निश्चय कर लिया। हनुमान को जब इस बात का संज्ञान हुआ कि श्री राम उसे मारने आ रहे हैं तो वो कुछ समझ नहीं पाए कि ऐसा क्यूं हो रहा है?

तब ऋषि नारद ने उन्हें राम नाम जपते रहने की सलाह दी। एक वृक्ष के नीचे बैठे हनुमान जय श्री राम, जय श्री राम का जाप करने लगे। राम धुन लगते ही वो गहरे ध्यान में लीन हो गए। भगवान राम जब वहां पहुंचे तो हनुमान पर आक्रमण हेतु उन्होंने तीर चलाना आरंभ कर दिया। पर राम नाम में लीन पवन पुत्र का एक बाल भी बांका न हो सका। जब श्री राम ने ये देखा तो वो असमंजस की स्थिति में पड़ गए। उन्होंने मन ही मन में विचार किया कि जो भक्त मेरा नाम जप रहा है उसकी मैं तो क्या कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अपने तीर विफल होते देख भगवान राम ने कई अस्त्र भी आजमाए पर हनुमान के आगे सब विफल ही रहे।

क्योंकि श्री राम को अपने गुरु के वचन का पालन करना था। भगवान राम ने फिर प्रयलंकारी ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया। भगवान राम का नाम जपते हनुमान पर ब्रम्हास्त्र का भी कोई असर न हुआ। पृथ्वी पर प्रलय जैसे संकट बनते देख नारद विश्वामित्र के पास गए और सब सच बता दिया। इसके बाद विश्वामित्र ने राम को वचन से मुक्त कर दिया और देव ऋषि नारद ने ये सिद्ध कर दिया कि राम नाम स्वयं भगवान राम से भी ज्यादा शक्तिशाली है।

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