डिजिटल टैक्स की कीमत पर भी लागू होगा ग्लोबल मिनिमम टैक्स
वैश्विक स्तर पर यदि मिनिमम टैक्स को लेकर समझौता हो जाता है तो भारत को डिजिटल सर्विस टैक्स या समकारी शुल्क (इक्वलाइजेशन लेवी) को वापस लेना होगा। इतना ही नहीं सरकार को यह आश्वासन भी देना होगा कि वह भविष्य में इस तरह का कोई टैक्स लागू नहीं करेगी। अंतरराष्ट्रीय कराधान प्रणाली में एक बड़े सुधार के तहत भारत सहित 136 देशों ने वैश्विक स्तर पर कर नियमों में पूर्ण बदलाव की सहमति दी है। अगर यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने परिचालन वाले देशों में न्यूनतम 15 फीसद की दर से टैक्स देना होगा।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा शुक्रवार को जारी क्रियान्वयन योजना के अनुसार, इस करार के तहत देशों को सभी प्रकार का डिजिटल सेवा कर और इसी तरह के अन्य उपायों को वापस लेने के साथ भविष्य में ऐसा कोई कर नहीं लगाने की प्रतिबद्धता जतानी होगी।
ओईसीडी ने कहा, ‘आठ अक्टूबर से किसी भी कंपनी पर डिजिटल सेवा कर या इसी तरह का कोई अन्य कर लागू नहीं किया जाएगा। यह व्यवस्था 31 दिसंबर, 2023 से पहले तक या बहुपक्षीय संधि (एमएलसी) के प्रभाव में आने तक लागू रहेगी।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी सप्ताह कहा था कि भारत वैश्विक न्यूनतम कर प्रणाली के ब्योरे को अंतिम रूप देने के करीब है। जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की 13 अक्टूबर को वाशिंगटन में बैठक होगी, जिसमें इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। नांगिया एंडरसन के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि ओईसीडी द्वारा शुक्रवार को जारी बयान में कुछ रोचक निष्कर्ष हैं, जिन पर कर अधिकारियों तथा करदाताओं की निगाह रहेगी।
ग्लोबल मिनिमम टैक्स का सर्वाधिक लाभ भारत को : डेलाय
डेलाय इंडिया के पार्टनर सुमित सिंघानिया ने कहा है कि वैश्विक न्यूनतम कर को लेकर अगर सहमति बन जाती है तो इसका सर्वाधिक लाभ भारत को मिलेगा। इतना ही नहीं इससे डिजिटलीकरण से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। वहीं शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी ने कहा है कि ग्लोबल मिनिमम टैक्स पर सहमति बनना अंतरराष्ट्रीय कराधान प्रणाली के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। यह टैक्स प्रणाली अमेजन जैसी कंपनियों को उन देशों में टैक्स भुगतान करने के लिए मजबूर करेगी, जहां पर वे काम कर रही हैं।
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