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बंगले के गेट पर माफिया उड़ाता था नोटों की गड्डियां, जहां बांटता था त्योहारी; वहां पसरा रहा सन्नाटा

वक्त-वक्त की बात है। एक दौर था जब अतीक का माफियाराज चरम पर था और तब ईद और बकरीद पर वह बंगले के गेट पर खड़े होकर त्योहारी के लिए आए लोगों पर नोटों की गड्डियां उड़ाता था।

 वक्त-वक्त की बात है। एक दौर था जब अतीक का माफियाराज चरम पर था और तब ईद और बकरीद पर वह बंगले के गेट पर खड़े होकर त्योहारी के लिए आए लोगों पर नोटों की गड्डियां उड़ाता था। पकवान और कच्चा मीट बांटता था। मगर अब सीन बदल चुका है। न अतीक है और न बंगला। उस जगह मलबा पड़ा है।

चकिया में पसरा रहा सन्नाटा

ईद पर चकिया में अतीक के निवास स्थान पर सन्नाटा और मातम जैसा माहौल रहा। पुलिस की गश्त के बीच इक्का-दुक्का लोग ही वहां से गुजरते दिखे, जो नजर बचाकर निकल जा रहे थे। अतीक के माफिया राज के दौरान कई साल तक चकिया में उसके बंगले और करबला कायार्लय पर ईद जैसे त्योहार पर फकीरों और इलाके के निर्धन लोगों की भीड़ जुटती थी।

अतीक गड्डी तोड़कर नोट उड़ाता और कच्चा मीट बंटवाता। रंगदारी उगाही और दूसरों की जमीन जबरन कब्जा कर मिले पैसों से वह अपनी हनक बनाता था।

शाइस्ता है फरार

त्योहार पर उसी काली कमाई का मामूली अंश बांटकर रौब गांठता था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक-अशरफ और असद जान गंवा चुके हैं। शाइस्ता फरार है। घर ढहाया जा चुका है, जहां मलबा पड़ा है। जिधर पुलिसवाले जाने से हिचकते थे, आज वहां बार-बार पुलिस गश्त करती नजर आई।

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