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सचिन तेंदुलकर ने बताया कि कौन-सा बर्थडे है उनका सबसे खास, अब ये है उनका लक्ष्‍य

200 टेस्‍ट, 463 वनडे, 6 वर्ल्‍ड कप, 100 अंतरराष्‍ट्रीय शतक और 164 अर्धशतक बेमिसाल आंकड़े हैं। इस दौरान तेंदुलकर ने कई चुनौतियों का डटकर मुकाबला करके जीत हासिल की और दुनियाभर में युवा क्रिकेटरों के प्रेरणास्रोत बने।

जागरण इंग्लिश को दिए एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में सचिन तेंदुलकर ने अपनी जिंदगी की यात्रा, खेल से मिली सीख पर प्रकाश डाला, जिसने उन्‍हें क्रिकेट दीवाने देश में भगवान का दर्जा दिलाया। तेंदुलकर ने भगवान का शुक्रिया अदा किया कि उन्‍हें दो दशक से ज्‍यादा समय तक देश का प्रतिनिधित्‍व करने का मौका मिला और 2011 विश्‍व कप खिताब जीत सके।

जो कुछ हूं, क्रिकेट की वजह से…

50 साल की उम्र में पहुंचने के बारे में सवाल करने पर सचिन तेंदुलकर ने कहा, ”बहुत अच्‍छा लग रहा है, लेकिन यह मेरी जिंदगी की सबसे धीमी हाफ सेंचुरी है। हालांकि, इस अर्धशतक ने मुझे जिंदगी में वो चीजें सिखाई, जो अन्‍य कोई अर्धशतक नहीं सिखा सका। इसलिए इस अर्धशतक का महत्‍व अलग है। मैं भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि जिंदगी में यह मौका मिला। मैं 24 साल देश का प्रतिनिधित्‍व कर पाया और वर्ल्‍ड कप खिताब जीत सका। मैं पूरे देश का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि इतने सालों तक मेरा समर्थन किया।”

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने आगे कहा, ”मैं आज जहां भी हूं, क्रिकेट की वजह से हूं। मैं अपनी जिंदगी की कल्‍पना बिना क्रिकेट के कर भी नहीं सकता क्‍योंकि मैंने क्रिकेटर बनने और देश का प्रतिनिधित्‍व करने के अलावा जिंदगी में कुछ चाहा ही नहीं। मैं बस यही कहूंगा कि आज मेरे पास जो भी है, वो क्रिकेट के कारण है। सभी चीजें क्रिकेट के कारण शुरू हुई। मैंने 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और सभी उतार-चढ़ाव से सीख ली। क्रिकेट ने मुझे जिंदगी के कई पाठ सिखाए।”

सचिन तेंदुलकर का सबसे पसंदीदा बर्थडे

24 साल के क्रिकेट करियर के दौरान कई ऐसे मौके आए जब सचिन तेंदुलकर अपने परिवार के साथ जन्‍मदिन का जश्‍न नहीं मना सके। मगर उन्‍हें बाहर टीम साथियों और दोस्‍तों ने कभी इसकी कमी नहीं महसूस होने दी। तेंदुलकर ने कहा, ”बर्थडे पर कुछ विशेष नहीं हुआ। बस केक काटा। मैं पहले अपने दोस्‍तों के साथ इसका जश्‍न मनाता था और हम सभी साथ में खाना खाते थे। मगर कोई बड़ी पार्टी नहीं होती थी।”

यह पूछने कि सबसे विशेष जन्‍मदिन कौन सा है तो महान बल्‍लेबाज ने जवाब दिया, ”1998 में हम मेरे बर्थडे के दिन फाइनल खेल रहे थे। हमने शारजाह में ऑस्‍ट्रेलिया को हराकर खिताब जीता था। तो वो बर्थडे मेरे लिए सबसे विशेष है।” बता दें कि भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच 24 अप्रैल 1998 को शारजाह में फाइनल मैच खेला गया था, तब तेंदुलकर अपना 25वां जन्‍मदिन मना रहे थे। उन्‍होंने 134 रन की पारी खेलकर भारत को चैंपियन बनाया था। इस सीरीज में वो प्‍लेयर ऑफ द सीरीज भी चुने गए थे।

फैंस का दिल से शुक्रिया

सचिन तेंदुलकर हमेशा बल्‍ले से जवाब देना सही समझते थे। उन्‍होंने अपने करोड़ों प्रशंसकों को पूरे करियर के दौरान समर्थन देने के लिए धन्‍यवाद दिया। तेंदुलकर ने कहा, ”मैं अपने फैंस को धन्‍यवाद देना चाहता हूं क्‍योंकि उनके समर्थन के बिना मेरी यात्रा ऐसी नहीं होती। फैंस ने जिस तरह मुझे प्रोत्‍साहित किया, मेरे लिए सालों पूजा की, मेरे लिए कई समझौते किए। मैंने सुना कि फैंस ने मेरे लिए व्रत रखे। अगर फैंस ऐसी चीजें नहीं करते तो मुझे नहीं लगता कि मुझे ऐसे नतीजे मिलते। मैं हमेशा अपने फैंस का आभारी रहूंगा।”

ये है अगला प्रमुख लक्ष्‍य

सचिन तेंदुलकर से जब पूछा गया कि बर्थडे पर क्‍या रेजोल्‍यूशन लिया है तो महान बल्‍लेबाज ने यहां भी अपने जवाब से दिल जीतने का काम किया। तेंदुलकर ने कहा, ”मेरा कोई बर्थडे रेजोल्‍यूशन नहीं है। मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि मैंने अपनी जिंदगी में 24 साल भारत के लिए बल्‍लेबाजी की। संन्‍यास लिए करीब 10 साल का समय हो गया है। सिर्फ इस जन्‍मदिन पर नहीं बल्कि मेरा लंबे समय का सपना है कि भारत का प्रतिनिधित्‍व करूं और मेरी जिंदगी की दूसरी पारी वंचित बच्‍चों की मदद करने के बारे में है। भारत में सभी को अपने सपने पूरे करने के लिए अच्‍छा मंच नहीं मिलता तो मैं उनका समर्थन करना चाहूंगा।”

तेज गेंदबाजों को विशेष संदेश

सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर के दौरान जिन तेज गेंदबाजों का सामना किया, उनके लिए विशेष तारीफ की। महान बल्‍लेबाज ने कहा, ”मुझे कई महान तेज गेंदबाजों के खिलाफ खेलने का मौका मिला। मैंने अपने डेब्‍यू दौरे पर इमरान खान का सामना किया। फिर मेरी दूसरी सीरीज में न्‍यूजीलैंड के रिचर्ड हेडली का सामना करने को मिला। जब मैं इंग्‍लैंड गया तो इयान बॉथम का सामना किया और 1991 में क्‍लाइव राइस के खिलाफ खेला।”

सचिन तेंदुलकर ने साथ ही कहा, ”इसके बाद मैंने वेस्‍टइंडीज के खिलाफ खेला, जिसके पास मैलकम मार्शल थे और फिर कपिल देव का सामना किया। वो मेरे हीरो थे और मुझे उनके साथ या खिलाफ खेलने का मौका मिला। मैं केवल एक गेंदबाज का नाम नहीं ले सकता हूं। मैं बस सभी महान गेंदबाजों को इतना कहना चाहूंगा कि जितनी चुनौतियां इन्‍होंने मेरे सामने दी, उसका सामना करते हुए मैंने काफी आनंद उठाया। अगर आप इस तरह की चुनौती का सामना करते हैं तो खेल और भी मजेदार होता है।”

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