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इस साल कोरोना ने ही नहीं बल्कि और खतरनाक वायरस ने भी हमारी जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया जिसके चलते कई लोगों ने अपनी जानें गंवाई। इस दर्द को सालों साल लोग भुला नहीं पाएंगे। जानिए ऐसे ही कुछ वायरसों के बारे में, जिन्होने 2021 में भारी तबाही मचाई है।

नोरोवायरस

– इस साल नवंबर में केरल के एक वेटेरीनरी कॉलेज के 13 स्टूडेंट्स में नोरोवायरस संक्रमण के केस सामने आए।

इसके संक्रमण से पेट संबंधित गंभीर परेशानी सामने आती है। डायरिया जैसी हालात हो जाती है। 1968 में यह अमेरिका के नोरवॉक शहर से आया।

अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक विश्व में डायरिया और उल्टी से संबंधित जटिलताओं के कारण बीमार हुए पांच मं से एक मरीज नोरोवायरस से संबंधित है।

जीका वायरस

– इस साल भारत में करीब सौ से ज्यादा जीका वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए।

– जीका वायरस का प्रकोप भी सबसे ज्यादा केरल में रहा। इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला यूगांडा से आया था।

हल्का बुखार, स्किन पर दाने, आंखों में खुजली, बदन दर्द जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखाई देते हैं।

– हालांकि, आमतौर पर बहुत दिनों तक जीका वायरस के लक्षण नहीं दिखाई देते।

रिफ्ट वैली फीवर

– अफ्रीका के कई देश रिफ्ट वैली फीवर का प्रकोप है। रिफ्ट वैली फीवर नाम के वायरस से यह बीमारी होती है। इस बीमारी में ब्लीडिंग होती है और कंफ्यूजन रहता है।

– जल्द ही संक्रमण लिवर तक पहंच जाता है। यह बीमारी बहुत घातक है। अगर रिफ्ट वैली फीवर संक्रमित व्यक्ति को ब्लीडिंग शुरू हो गई तो उनमें 50 परसेंट की मौत तय है।

निपाह

– 1999 में मलेशिया से शुरू होकर आज निपाह वायरस का प्रकोप कई देशों में है। यह वायरस सु्अर से इंसानों में आया था। भारत के अलावा बांग्लादेश, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड में भी इस साल इस वायरस का प्रकोप रहा।

– इस साल केरल में निपाह वायरस के कारण एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। 4 सितंबर को निपाह से पीड़ित 5वां केस सामने आया। इस बीमारी में बुखार, कफ, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और मतिभ्रम जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

दो से तीन दिन के अंदर मरीज कोमा में चला जाता है। इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद 50 से 75 परसेंट लोग मर जाते हैं।

मर्बर्ग वायरस

– इबोला की तरह ही मर्बर्ग वायरस भी बहुत खतरनाक है। इसे इबोला का कजिन कहा जाता है।

– डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इससे संक्रमित होने वाले लगभग 88 परसेंट मरीजों की मौत हो जाती है।

– 1967 में पहली बार इस बीमारी का प्रकोप जर्मनी और सर्बिया में हुआ था लेकिन आज यह कई अफ्रीकी देशों के लिए सिर दर्द बन चुकी है।

इस साल गिनी और यूगांडा में मर्बर्ग के मामले सामने आए। डायरिया और उल्टी के लक्षण आम हैं। ब्लीडिंग शुरू हो जाने के बाद अधिकांश मरीजों की मौत हो जाती है।

येलो फीवर

– येलो फीवर के वायरस तेजी से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमित होते हैं। इस साल नाईजीरिया में येलो फीवर के 1312 मामले सामने आए।

– येलो फीवर एडिस प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है, जिसमें वायरस होते हैं।

इस बीमारी में लिवर और किडनी खराब होने लगती है। बुखार, उल्टी, पेट दर्द, पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

– सही समय पर इलाज न हो तो 7 से 10 दिनों के अंदर मरीज की मौत हो सकती है।

– डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अफ्रीका के 47 देश, मध्य अमेरिका के 34 देश और दक्षिण अमेरिका के 13 देश इस बीमारी की चपेट में हैं। हालांकि वैक्सीन से इस बीमारी से बचा जा सकता है।

इबोला

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित होने वाला इबोला बहुत ही खतरनाक बीमारी है। यह इबोला वायरस से फैलता है। इस बीमारी से पीड़ित होने वाले लगभग आधे मरीजों की मौत हो जाती है।

– इससे संक्रमित होने के बाद मरीज में बुखार, थकान, मसल्स पेन, गले में खराश आदि के लक्षण दिखाई देते हैं, जिसके बाद डायरिया और उल्टी होने लगती है।

– 2021 में कांगो में इस बीमारी ने काफी तबाही मचाई। 2014 से यह बीमारी महामारी के रूप में सामने आई है। गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया इसके प्रमुख केंद्र हैं।

डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को आने वाले सालों में ग्लोबल हेल्थ के लिए 10 सबसे ज्यादा खतरे वाली बीमारियों की लिस्ट में डाला है।

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