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शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना के जरिए राज्यपाल और न्यायपालिका पर खड़े किए ये सवाल

Saamana News: शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना के जरिए राज्यपाल और न्यायपालिका पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं इसी मंच से राज्य के नए सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और बागी विधायकों के साथ बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा गया है. इसी के साथ ही राज्यपाल और न्यायालय के प्रति नाराजगी जताई गई. सामना के संपादकीय लेख में यह भी लिखा गया कि राज्यपाल और न्यायालय ने सत्य को खूंटी पर टांग दिया और फैसला सुनाया. 

CM एकनाथ शिंदे से सवाल

महाराष्ट्र में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पूरा होने के बाद शिवसेना की ओर से राज्य के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से सवाल पूछा गया है. नए घटनाक्रम के सिलसिले में शिवसेना ने पूछा कि सत्ता तो मिल गई है अब आगे क्या?

‘अब चलेगा सुदर्शन चक्र’

इस लेख में अटल बिहारी वाजपेई का जिक्र करते हुए बताया गया कि अब बीजेपी में उनकी विचारधारा खत्म हो चुकी है. महाभारत से द्रौपदी का उल्लेख करते हुए कहा गया की जनता जनार्दन श्रीकृष्ण की तरह अवतार लेगी और महाराष्ट्र की इज्जत लूटने वालों पर सुदर्शन चक्र चलाएगी.

दल बदलने वाले पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करने वाले विधायकों की अपात्रता से संबंधित फैसला आने तक सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए कहना संविधान से परे है. 

‘यह दर्द नहीं धोखा है’

संपादकीय में आगे ये भी कहा गया, ‘हमारी विवेक-बुद्धि ठंडी पड़ गई है. यह दर्द नहीं धोखा है. ज्यादातर लोगों को जिस तरह से आकाश में विहार करना नहीं जमता है, उसी तरह से विचार करना भी नहीं जमता है. लोगों को शॉर्टकट से सब कुछ हासिल करना है. असीमित सत्ता का और पाशवी बहुमत का प्रचंड दुरुपयोग हो रहा है. विरोधियों को हरसंभव मार्ग से परेशान नहीं, बल्कि प्रताड़ित करने का तंत्र तैयार हो गया है.

‘लोकतंत्र पर खतरा’

लेख में लोकतंत्र को लेकर लिखा गया कि आखिर विरोधी दलों का अस्तित्व खत्म करके देश का लोकतंत्र कैसे जीवित रहेगा? शिवसेना के विधायक टूटे इसके लिए कौन-सी महाशक्ति काम कर रही थी इसका पता चल गया है. परंतु पार्टी बदलने व विभाजन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया राजभवन में चलनेवाली है क्या?

उद्धव की तारीफ

सामना के संपादकीय में उद्धव ठाकरे की तारीफ करते हुए कहा गया, ‘उद्धव चाहते तो वो आंकड़ों का खेल खेल सकते थे. लेकिन उन्होंने शालीन स्वभाव के अनुरूप भूमिका अपनाई और मुख्यमंत्री और विधान परिषद के विधायक का पद भी त्यागते हुए पूरे समय शिवसेना का कार्य करने के लिए मुक्त हो गए.’

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