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सत्ता के भूखे भेडि़ये म्‍यांमार की सड़कों पर अब तक कितने लोगों का बहा चुके हैं खून

 म्‍यांमार में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। वहां का मौजूदा सैन्‍य शासन पूरी तरह से निरंकुश और तानाशाह होता जा रहा है। अपने खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों की आवाज को दबाने के लिए ये सैन्‍य शासन किसी भी हद तक जाने से पीछे नहीं हट रहा है। शुक्रवार को म्‍यांमार की सड़कों पर 114 लोगों की मौत इसी बात का एक जीता जागता सुबूत है। शनिवार को सेना और पुलिस के हाथों मारे गए लोगों में बच्‍चे भी शामिल हैं। तख्‍तापलट के बाद म्‍यांमार में प्रदर्शनकारियों की मौतों का ये सबसे बड़ा आंकड़ा है। म्‍यांमार में सेना द्वारा लोकतांत्रिक सत्‍ता का तख्‍तापलट करने के बाद से जो विरोध प्रदर्शन हुए हैं उनमें अब तक 450 के आस-पास लोग मारे जा चुके हैं।

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के मुताबिक म्‍यांमार में सैन्‍य शासन द्वारा की गई इस कार्रवाई का इंटरनेशनल चीफ ऑफ डिफेंस आर्मी जनरल मार्क ए माइले ने आस्‍ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान, डेनमार्क, नीदरलैंड, न्‍यूजीलैंड, कोरिया और ब्रिटेन के सेनाध्‍यक्षकों की मौजूदगी में कड़ी निंदा की है। माइले ने कहा है कि म्‍यांमार सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर किए जा रहे घातक हथियारों के इस्‍तेमाल के लिए भी सैन्‍य शासन की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि प्रोफेशनल आर्मी इस तरह की कार्रवाई में लिप्‍त नहीं होती है। वो लोगों की रक्षा करती हैं उन्‍हें नुकसान नहीं पहुंचाती है। माइले ने कहा है कि म्‍यांमार की सेना को अंतरराष्‍ट्रीय नियमों के तहत लोगों के हितों और रक्षा के लिए काम करना चाहिए, न कि उन्‍हें नुकसान पहुंचाना चाहिए।

माइले ने म्‍यांमार के सैन्‍य शासन से अपील की है कि वो लोगों पर अत्‍याचार करना बंद कर लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को बहाल करे और देश में शांति व्‍यवस्‍था कायम करे। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने कहा है कि म्‍यांमार में तख्‍तापलट की कार्रवाई के बाद से हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 20 बच्‍चों समेत 350 से अधिक लोग विरोध प्रदर्शन के दौरान सेना के हाथों मारे जा चुके हैं। इंटरनेशनल एमनेस्‍टी की रिपोर्ट बताती है कि प्रदर्शनकारियों की मौत का आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।

अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय म्‍यांमार में जो हालात बन रहे हैं उसको लेकर काफी चिंतित है। सभी देश म्‍यांमार संकट पर अपनी चिंता व्‍यक्‍त कर चुके हैं। अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों से बार-बार म्‍यांमार के सैन्‍य शासन से अपील की जा रही है कि वो देश में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को बहाल करे और हिरासत में लिए गए सभी नेताओं जिनमें आंग सांग सू की भी शामिल है, को रिहा करे। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन समेत कुछ अन्‍य देशों ने म्‍यांमार के ऊपर प्रतिबंध भी लगाए हैं। हाल ही में यूरोपीय संघ ने म्‍यांमार के शीर्ष स्‍तर के 11 लोगों पर प्रतिबंध लगाया है। इनमें म्‍यांमार की वो कंपनियां भी शामिल हैं जिनका नियंत्रण पूरी तरह से सेना के पास में हैं और इनका कारोबारा पूरे म्‍यांमार में फैला है। इन सभी देशों ने म्‍यांमार के कुछ खास लोगों से किसी भी तरह के व्‍यापारिक समझौते करने और अपने देश में इनके आने पर रोक लगाई है।

आपको बता दें कि म्‍यांमार के कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विस सीनियर जनरल मिन आंग ह्लेनिंग ने 1 फरवरी 2021 की सुबह देश की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का तख्‍तापलट कर सत्‍ता अपने हाथों में ले ली थी। उन्‍होंने खुद को देश का प्रमुख घोषित किया और फिर नेशनल काउंसिल का गठन किया जिसमें सेना के अधिकारियों को जगह दी गई। तख्‍तापलट के साथ ही देशमें इंटरनेट सेवा को रोक दिया गया और इसके बाद देश की मीडिया का भी गला घोंट दिया गया। आपको बता दें कि आंग सांग सू की नवंबर 2020 के चुनाव में जीत कर दोबारा सत्‍ता पर काबिज हुई थीं। जनरल ह्लेनिंग का आरोप है कि इस चुनाव में सू की की पार्टी ने बड़े पैमाने पर धांधली कर जीत हासिल की थी। सैन्‍य शासन जिसको म्‍यांमार में जुंटा कहा जाता है ने सू की के ऊपर भ्रष्‍टाचार के भी संगीन आरोप लगाए हैं।

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