Uttar Pradesh

यूक्रेन से लौटे बच्चे सीएम योगी से मिले, बच्चे बोले- मोदी हैं तो सब कुछ मुमकिन

यूक्रेन तथा रूस में जारी जंग के बीच में भी केन्द्र सरकार के आपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन से भारतीयों को वापस लाने का काम लगातार जारी है। यूक्रन से सुरक्षित वापस लौटे उत्तर प्रदेश के मेडिकल स्टूडेंट्स ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। सीएम योगी आदित्यनाथ से रविवार को उनके सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री से भेंट करने के बाद बच्चों ने एक स्वर से बोला कि मोदी हैं तो मुमकिन है हर मुश्किल काम।

सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले 50 बच्चों ने कहा कि अपने देश से 6000 किलोमीटर दूर परदेस में युद्ध के बीच अपने लोगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार जैसा प्रयास कर रही है, उसने दूसरे देशों के साथी छात्रों को भी पीएम मोदी का कायल बना दिया है। वहां पर रोमानिया और हंगरी बॉर्डर तो केवल भारतीयों के लिए खुल रहे हैं। अब तो यह समझ आया कि मोदी हैं तो हर मुश्किल काम मुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आपरेशन गंगा की सफलता को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध के बहाने देश में राजनीति कर रहे लोगों की निंदा की है। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ऐसे समय में जबकि हमारे बच्चों की सकुशक वापसी पूरे देश की शीर्ष प्राथमिकता है, तब भी कुछ लोग गन्दी राजनीति से बाज नहीं आ रहे। यह लोग नहीं चाहते कि हमारे देश के बच्चों की सुरक्षित वापसी हो। उन्होंने इसके साथ ही अभिभावकों को ऐसे लोगों से सावधान रहते हुए धैर्य बनाये रखने की अपील भी की।

छात्रों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व का कमाल है कि हंगरी, पोलैंड और रोमानिया सहित विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों से हमारे देश के घनिष्ठ संबंध हैं। विगत दिनों अफगानिस्तान संकट हो या आज यूक्रेन का, हर भारतीय की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। संवेदनशील सरकार की यही पहचान कि वह नागरिकों के सुख-दु:ख में साथ खड़ी रहती है। यह 135 करोड़ भारतीयों का सौभाग्य है कि नरेन्द्र मोदी उनके प्रधानमंत्री हैं। अब तक कुल 2397 छात्रों में से 1400 की वापसी हो चुकी है, शेष के लिए भी प्रक्रिया चल रही है।

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बच्चों और अभिभावकों से भेंट करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में दशकों तक बदहाल रहे मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से 2017 तक प्रदेश में 12 मेडिकल कालेज थे। अगर पहले ही इस ओर ध्यान दिया गया होता तो इन बच्चों को यूक्रेन नहीं जाना पड़ता। प्रदेश में आज पांच वर्ष में डबल इंजन की भाजपा सरकार ने 33 नए मेडिकल कॉलेज बनवाए हैं। रूस, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा जहां 40 लाख है वहीं यूएस और यूके में लगभग दो करोड़ है। आपकी सरकार राजकीय मेडिकल कॉलेज बनवा रही है, जहां चार से पांच लाख रुपये के शुल्क में मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है। गरीब का बच्चा भी पढ़ सकता है।

युद्धग्रस्त क्षेत्र से लौटे बच्चों ने बताया कि यूक्रेन बार्डर पार करते समय अन्य देश के बच्चे भी साथ थे। जब उन्हें पता चला कि भारत सरकार ने हमारी वापसी के लिए पूरा इंतजाम किया है, हमें कोई खर्च नहीं करना होगा तो विदेशी छात्रों ने कहा कि गर्व करो कि तुम उस देश के हो जहां की सरकार तुम्हारे बारे में इतना सोचती है। तब हमें लगा की देश में सशक्त सरकार कितनी जरूरी है। इन बच्चों ने युद्ध शुरू होने से पहले भारतीय दूतावास से जारी एडवाइजरी, बंकर में बिताए दिन के हालात की चर्चा करते हुए घर लौटने तक का पूरा वृत्तांत सुनाया। छात्रों ने बताया कि एक ओर उनसे केन्द्र सरकार के मंत्री, अधिकारी, दूतावास के अधिकारी सम्पर्क में थे, तो यहां उत्तर प्रदेश में घर पर लेखपाल से लेकर जिलाधिकारी तक माता-पिता से लगातार संवाद में थे। ऐसे में मानसिक साहस भी बढ़ा। बच्चों ने दिल्ली में उत्तर प्रदेश भवन में रुकने और फिर घर तक सरकारी वाहन से पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार भी जताया।

इंडियन एम्बेसी ने की बहुत मदद: बाराबंकी के प्रज्ज्वल वर्मा ने बताया कि मैं खारकीव में था। इंडियन एम्बेसी ने बहुत मदद की। केन्द्र सरकार में मंत्री जनरल वीके सिंह लगातार संपर्क में रहे। हम लोगों को पहले पोलैंड में होटल में ठहराया गया। तीन मार्च को फ्लाइट से वापस आए। हमारा एक भी रूपया खर्च नहीं हुआ।

लखनऊ की आकांक्षा चौरसिया ने बताया कि मैं वेनेसा में थी। वहां सीरियस इशू नहीं थे। शुरुआत में थोड़ी असुविधा हुई डर भी लगा। दूतावास के अधिकारियों से बातचीत होती थी। मैं रोमानिया बॉर्डर पहुंची, वहां सब लोग मौजूद थे। भोजन, होटल, कपड़े सब सरकार ने दिया। मुंबई लाया गया फिर योगी आदित्यनाथ जी ने हमको अपने घर तक पहुंचाया।

कानपुर देहात के आयुष्मान ने कहा कि सौभाग्यशाली हूं कि पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ हमारी चिंता करते हैं। मैंने एम्बेसी की एडवाइजरी को गंभीरता से लिया और 23 फरवरी को ही लौट आया। तब अंतिम फ्लाइट थी। फिर तो सब बंद हो गया। युद्ध शुरू हो गया।

कानपुर की चाहत कपूर ने बताया कि देश से 6000 किलोमीटर दूर थे, डर लग हा था। सब लोग परेशान थे, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रयासों से हम लौट सके। पीएम को हमारा धन्यवाद। मैंने हंगरी बॉर्डर पार किया, वहां पर कई देश के बच्चे थे। सबने बताया वो लोग अपने खर्चे पर जा रहे हैं, मैंने बताया कि हमारी सरकार ने तो हमारा इवैक्युकेशन प्लान तैयार किया है। हमसे कुछ नहीं लिया जा रहा। यह सुनकर सबने कहा कि आप लकी हैं कि आपके यहाँ ऐसी सरकार है।

गोरखपुर की शिवांजलि गुप्ता ने कहा कि हमने तो वापसी की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन सरकार ने हौसला बढ़ाया। भारत तो वापस लाये ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में यूपी भवन में रुकने की व्यवस्था दी। इनोवा गाड़ी से घर तक छोड़ा। बहुत आभार।

गोंडा के शिखर गुप्ता ने बताया कि खारकीव में पांच दिन बंकर में रहा। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत जरूर हुई लेकिन दूतावास से संपर्क बनाए रखा। एक बार बॉर्डर पार किया फिर तो हमारे अधिकारी-मंत्री सब हमारे सामने थे। मेंटली सपोर्ट बहुत मिला।

हरदोई के जय सक्सेना ने बताया कि वहां सिचुएशन खराब थी। रोमैनिया बार्डर क्रास क्रॉस करने तक भर की दिक्कत थी। हमारी सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। बस हमारी पढ़ाई पूरी होने का प्रबंध हो तो और अच्छा है।

बहराइच के शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मैं तो कीव में ही था। वहां बहुत खतरा था। हमें खुशी है कि हमने पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना अभिभावक बनाया है। सच कहूं तो सुखद यात्रा रही। अविस्मरणीय तो है ही। यूक्रन में एहसास हुआ कि मोदी और योगी हैं तो हर मुश्किल मुमकिन है। 

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