Religious

जानिए पहली बार श्री कृष्ण को देखने के बाद संत सूरदास ने माँगा था कौन सा खास वरदान

आप सभी ने संत सूरदास के बारे में पढ़ा और सुना होगा। वह एक महान कवि संगीतकार थे और वह भगवान कृष्ण को समर्पित भक्ति गीत गाया करते थे। उन्ही गीतों के लिए वह आज भी जाने जाते हैं। आप सभी यह भी जानते ही होंगे कि सूरदास अंधे पैदा हुए थे इस वजह से उन्हें अपने परिवार से कभी भी प्यार नहीं मिल पाया। उसके बाद उन्होंने छह साल की छोटी उम्र में अपना घर छोड़ दिया बहुत कम उम्र में भगवान कृष्ण की स्तुति करने लगे। हालाँकि इतिहासकारों के अनुसार संत सूरदास का जन्म 1478 ई। में हरियाणा के फरीदाबाद के सीही गांव में हुआ था। इसी के साथ कुछ लोगों का दावा है कि उनका जन्म आगरा के पास रूंकटा में हुआ था। वहीं कथाओं के अनुसार, सूरदास के संगीत उम्दा कविता को खूब प्रशंसा मिली।

जैसे-जैसे उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली, मुगल बादशाह अकबर उनके संरक्षक बन गए। सूरदास ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष ब्रज में बिताए थे। कहा जाता है सूरदास की कृष्ण भक्ति के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। इन्ही में से एक कथा के मुताबिक, एक बार सूरदास कृष्ण की भक्ति में इतने डूब गए थे कि वे एक कुंए जा गिरे, जिसके बाद भगवान कृष्ण ने खुद उनकी जान बचाई उनके अंतःकरण में दर्शन भी दिए। केवल यही नहीं ऐसा भी कहते है कि जब कृष्ण जी ने सूरदास की जान बचाई तो उनकी नेत्र ज्योति लौटा दी थी और इस तरह सूरदास ने इस संसार में सबसे पहले अपने आराध्य, प्रिय कृष्ण को ही देखा था।

कहते हैं कृष्ण ने सूरदास की भक्ति से प्रसन्न होकर जब उनसे वरदान मांगने को कहा, तो सूरदास ने कहा कि मुझे सब कुछ मिल चुका है, आप फिर से मुझे अंधा कर दें क्योंकि वह कृष्ण के अलावा अन्य किसी को देखना नहीं चाहते थे। आप सभी को बता दें कि सूरदास की रचनाओं में कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम भक्ति का वर्णन मिलता है। इन रचनाओं में वात्सल्य रस, शांत रस, श्रंगार रस शामिल है। जी हाँ और सूरदास ने अपनी कल्पना के माध्यम से कृष्ण के अदभुत बाल्य स्वरूप, उनके सुंदर रुप, उनकी दिव्यता वर्णन किया है।

Related Articles

Back to top button
Event Services