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जानिए कब से शुरू हो रहे है चैत्र नवरात्रि,जाने घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना विधि

हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी अधिक महत्व है। चैत्र मास में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से हर एक दिन पूजा की जाती है। बता दें कि साल में पूरे चार बार नवरात्रि पड़ते हैं जिसमें से दो शारदीय और चैत्र नवरात्रि का काफी महत्व है। इसके अलावा दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं जो 11 अप्रैल को रामनवमी के साथ समाप्त होंगे।

चैत्र नवरात्रि के दौरान घटस्थापना करने का काफी महत्व है माना जाता है कि जो व्यक्ति इन नौ दिनों में व्रत करके कलश स्थापना करता है। उसके ऊपर मां दुर्गा का विशेष कृपा रहती हैं। जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि प्रारंभ – 2 अप्रैल 2022 से शुरू

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 1 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 से शुरू

प्रतिपदा तिथि समाप्त –  2 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 58 पर समाप्त

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 2 अप्रैल सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक

अवधि – करीब 2 घंटे 09 मिनट

अभिजीत मुहूर्त – 2 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक

घटस्थापना के लिए सामग्री

  • मिट्टी का चौड़े मुंह वाला कलश
  • मिट्टी का ढक्कन (पराई) कलश ढकने के लिए
  • पराई में भरने के लिए अनाज
  • सही जगह की मिट्टी
  • सात तरह के अनाज
  • साफ जल
  • थोड़ा गंगाजल
  • कलावा या मौली
  • सुपारी
  • आम या अशोक के पत्ते कलश को ढकने के लिए
  • अक्षत
  • जटा वाला नारियल
  • लाल कपड़ा नारियल लपेटने के लिए
  • फूल
  • दूर्वा, सिंदूर,
  • मिठाई
  • पान
  • लौंग
  • इलायची
  • बताशा
  • गौरी पूजा के लिए मिट्टी के चार टुकड़े

घटस्थापना की विधि

सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद कलश स्थापित करने वाली जगह को गोबर से लीप लें या फिर साफ पानी से धो लें। इसके बाद साफ मिट्टी में सात तरह के अनाज या केवल जौ मिला लें। इसके बाद मिट्टी के कलश को लेकर उसके मुंह के चारों ओर कलावा चपेट दें और स्वास्तिक का चिन्ह बना दें।  इसके बाद इसमें जल भर कर मिट्टी के ऊपर रख दें। अब कलश के ऊपर मिट्टी का ढक्कन रख दें और उसमें गेहूं आदि भर दें। इसके बाद लाल कपड़े में नारियल को लपेटकर कलावा से बांध दें और कलश के ऊपर रख दें। अब गणेश जी और मां दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद फल, माला, अक्षत, रोली क्रमश चढ़ाएं। फिर पान में सुपारी, लौंग, इलायची, बाताशा रखकर चढ़ा दें। इसके बाद भोग लगाएं और जल अर्पित कर दें। फिर धूप-दीपक जलाकर कलश की आरती कर लें। इसके साथ ही एक घी का दीपक लगातार 9 दिनों तक जलने दें।

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