Health

कम नींद से बुजुर्गों में डिमेंशिया और जल्दी जान जाने का होता है खतरा

ऐसे बुजुर्ग जिन्हें हमेशा नींद के लिए संघर्ष करते और रात में बार-बार जागते देखने को मिला है, उनमें डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश विकसित होने या किसी भी वजह से जल्दी मरने का जोखिम ज्यादा हो सकता है। एक नए अध्ययन के नतीजे यही बताते हैं। जंहा जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में छपी स्टडी के मुताबिक जिन लोगों ने नियमित रूप से सोने में कठिनाई का अनुभव किया, उनमें मनोभ्रंश का जोखिम 49 फीसद अधिक था और जो लोग हमेशा रात में जागते थे और उन्हें फिर से सोने में कठिनाई होती थी, उनमें भी मनोभ्रंश का जोखिम 39 फीसद ज्यादा पाया गया।

इस बारें टीम ने नेशनल हेल्थ एंड एजिंग ट्रेंड्स स्टडी (NHATS) के डेटा का विश्लेषण किया, जो 6,376 मेडिकेयर लाभार्थियों के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सैंपल के साथ सालाना व्यक्तिगत इंटरव्यू का आयोजन किया जाता है। नए अध्ययन के लिए 2011 और 2018 के मध्य के डेटा की जांच की गई, जिसमें सबसे ज्यादा जोखिम वाली कैटेगरी के लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। उन लोगों ने कहा कि उन्हें ज्यादातर रातें या लगभग हर रात नींद की समस्या थी।

अध्ययन में प्रतिभागियों द्वारा खुद से रिपोर्ट की गई नींद की कठिनाइयों की तुलना तब हर प्रतिभागी के मेडिकल रिकॉर्ड से की गई। अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को ज्यादातर रातों को सोने में परेशानी होती थी, उनमें किसी भी कारण से जल्दी मौत का जोखिम लगभग 44 प्रतिशत अधिक था।

Related Articles

Back to top button
Event Services