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अच्छी सेहत के लिए तनावमुक्त रहना है बहुत जरूरी,जरुर आपनाएं ये खास तरीके

मानसिक तनाव आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी आम समस्या है पर जागरूकता के अभाव में अधिकतर लोग इसकी ओर ध्यान नहीं देते। अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं यहां।

सबसे पहले पॉजिटिव और नेगेटिव स्ट्रेस को पहचानें

– आमतौर पर तनाव को एक नकारात्मक मनोदशा के रूप में देखा जाता है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में सफलता हासिल करने के लिए थोड़ा तनाव जरूरी भी है और मनोवैज्ञानिक इसे पॉजिटिव स्ट्रेस का नाम देते हैं। आइए जानते हैं कि तनाव हमारे जीवन पर किस तरह सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

– कुछ कार्यों में अच्छे प्रदर्शन के लिए थोड़ा तनाव होना जरूरी है। मसलन, खेल के मैदान, परीक्षा हॉल और स्टेज पर काम करते समय जब तक व्यक्ति के मन में थोड़ा तनाव नहीं होगा तो वह अच्छे ढंग से अपना कार्य पूरा नहीं कर पाएगा।

– तनाव व्यक्ति को उसके लक्ष्य से भटकने नहीं देता और वह ज्यादा सही ढंग से काम कर पाता है।

– अगर मन में थोड़ा स्ट्रेस हो तो वह हमें लगातार प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित करता है।

अंत में सबसे जरूरी बात कि हर चीज़ की अति बुरी होती है इसलिए किसी भी कार्य के बारे में सोच-सोचकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस न लें।

ऐसे करें स्ट्रेस मैनेजमेंट

– अपनी दिनचर्या सुधारें और पूरी नींद लें।

– कार्यों की प्राथमिकता सूची बनाएं। सभी कार्यों को एक ही दिन में पूरा करने का दबाव महसूस न करें। जो कार्य ज्यादा जरूरी न हो, उसे बेझिझक छोड़ दें।

– किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर कुछ नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।

– अगर दूसरों की हर बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने की आदत से बचें अगर किसी की कोई बात आपको नापंसद हो तब भी उस पर ओवर रिएक्ट न करें।

– अति परफेक्शन की आदत से बचें क्योंकि इसकी वजह से व्यक्ति को बहुत स्ट्रेस होता है।

– किसी एक ही घटना या विषय के बारे में बार-बार न सोचें।

– जहां तक संभव हो झूठ न बोलें और न ही पीठ पीछे दूसरों की बुराई करें। ऐसी आदतें बेवजह तनाव को जन्म देती हैं।

– अपनी योग्यता और कार्यक्षमता की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य निर्धारित करें। अति मत्वाकांक्षा से दूर रहें क्योंकि यह भी तनाव का बहुत बड़ा कारण है।

– जिंदगी के प्रति अपना नजरिया बदलें। अपनी खामियों के बारे में सोच कर दुखी होने के बजाय अपने अच्छे गुणो को पहचान कर उन्हें निखारने की कोशिश करें।

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