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UPI की मदद से होने वाला डिजिटल लेन-देन में इस तहर Fraud से बचे, जानिए….

नई दिल्‍ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की Digital India मुहिम रंग ला रही है। दरअसल, खबर यह है कि UPI की मदद से होने वाला डिजिटल लेन-देन (Upi transaction) इस साल जून में मासिक आधार पर 11.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 5.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है। गुरुवार को NCPI द्वारा जारी आकंड़े के मुताबिक मई, 2021 में यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए 4.91 लाख करोड़ रुपए का लेन-दन हुआ था।

संख्या के लिहाज से जून, 2021 में करीब 2.80 अरब (280 करोड़) लेन-देन हुए जबकि मई में यह संख्या 2.53 अरब (253 करोड़) थी। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणालियों के कामकाज के लिए एक समग्र संगठन है। यह रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक्स एसोसियेशन (IBA) की एक पहल है जिसका उद्देश्य भारत में एक मजबूत भुगतान और निपटान ढांचे का निर्माण करना है।

क्‍या है UPI पेमेंट

Npci का यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) कई बैंक खातों को एक अकेले मोबाइल ऐप्‍लीकेशन से जोड़कर वित्तीय लेन-देन में मदद करता है।

कैसे बचें Fraud से

Covid 19 के समय साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं। अगर कोई आपसे OTP, UPI PIN, कार्ड डिटेल मांगे तो उसे किसी के साथ शेयर ना करें। शेयर कर दिया तो बैंक खाता खाली हो जाएगा।

कैसे होती है ठगी

जब कोई ग्राहक अपनी बैंकिंग जानकारी किसी साईबर धोखेबाज से शेयर करता है तो Fraud करने वाला उसका वर्चुअल पेमेंट एड्रेस बना लेता है और उसके जरिए बैंक अकाउंट को UPI के साथ लिंक कर सकता है। इससे वह आसानी से बैंक अकाउंट या कार्ड से पैसा निकाल सकता है। RBI इसलिए ही ग्राहकों को अलर्ट करता है।

क्‍या है VPA

VPA यानि वर्चुअल पेमेंट एड्रेस। यह यूपीआई आईडी की तरह है। VPA केवल साईबर ठग ही जनरेट करते हैं। वीपीए के जरिए धोखेबाज ग्राहक को पेमेंट का लिंक भेजता है। अब ग्राहक बिना उस लिंक को ध्यान से देखे उस पर क्लिक करते हैं और अपना यूपीआई PIN दर्ज करके पेमेंट करते हैं, तो ठगी का शिकार हो जाते हैं।

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