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पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन 28 महीने बाद जेल से आए बाहर, मनी लॉन्ड्रिंग का था केस

केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन लगभग 28 महीने बाद जेल से बाहर आ गए हैं.

बुधवार को मनी लॉन्ड्रिग के एक केस में लखनऊ की सेशन कोर्ट ने उनकी ज़मानत के फ़ैसले पर हस्ताक्षर किया था जिसके बाद उन्हें गुरुवार को लखनऊ की ज़िला जेल से ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.

5 अक्टूबर, 2020 को हाथरस गैंगरेप मामले पर रिपोर्टिंग करने जा रहे कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उन पर यूएपीए लगाया गया था.

एक महीने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ज़मानत दी थी.

बीते साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सभी मामलों में ज़मानत दे दी थी, लेकिन उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ज़मानत नहीं मिल पाई थी और वह जेल से बाहर नहीं आ सके थे.

इसके बाद दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा था कि उनके अकाउंट में पांच हज़ार के ट्रांसफ़र के अलावा किसी तरह का अन्य ट्रांसफ़र नहीं हुआ है.

सिद्दीक़ कप्पन मलयालम भाषा की न्यूज़ वेबसाइट ‘अज़ीमुखम’ के लिए काम करते थे और केरल के वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के दिल्ली सचिव थे.

सिद्दीक़ कप्पन की रिहाई पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, “मुझे खु़शी है कि संविधान के अनुच्छेर 21 की जीत हुई और सिद्दीक़ कप्पन को जेल से रिहा किया गया. ट्रायल कोर्ट के जजों को न्यायिक हिरासत की मांग को ख़ारिज करना चाहिए क्योंकि ये सज़ा से पहले क़ैद करने के जैसा है.”

सिद्दीक़ कप्पन ने क्या कहा?

सिद्दीक़ कप्पन ने जेल से बाहर आने के बाद कहा कि उन्हें जेल में क़िताबों की दिक्कत थी और मलयालम और अंग्रेजी के लिए थोड़ी मनाही थी. बाद में उन्हें हिंदी की क़िताब पढ़ने के लिए मिली.

हाथरस में लड़की के बलात्कार पर कप्पन ने कहा कि “वो एक बड़ी घटना थी. एक दलित लड़की के शव को बिना उसके परिवार की इजाज़त के जलाया गया था.”

उन्होंने बताया कि वो ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए वहां गए थे. लेकिन ऐसा नहीं है कि वो केवल हाथरस ही गए थे वो कश्मीर समेत देश के अलग राज्यों में जाकर रिपोर्टिंग कर चुके हैं.

पीएफ़आई से ताल्लुक के आरोपों के बारे में कप्पन ने कहा कि कई देशों में पत्रकारों के ख़िलाफ़ ऐसे आरोप हैं. उन्होंने कहा, “हम सरकार के प्रवक्ता नहीं हैं, हम पत्रकार हैं. सरकार जो बताए हम वो लिखने के लिए नहीं हैं.”

उन्होंने कहा कि केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स का दिल्ली सचिव होने के कारण उनके फ़ोन में पॉपुलर फ्रंट, बीजेपी, आरएसएस, कांग्रेस, मुस्लिम लीग, सीपीएम समेत कई नेताओं का नंबर है और चैट हैं.

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के बहुत जजों का नंबर मेरे फ़ोन में है. इधर आने के पहले राहुल गांधी के पीए को इंटरव्यू के लिए सवाल भेजे. मैं मीडिया पर्सन हूं, ये होना आम है.”

उन पर लगे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप के बारे में उन्होंने कहा, “मेरे साथ मेरठ का एक यूनिवर्सिटी का छात्र था, एक जामिया का छात्र था. उन दोनों के अकाउंट में इस तरह का कोई लेनदेन नहीं है. फिर ओमान में काम करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, उनका सैलरी अकाउंट होगा, उस व्यक्ति से मेरा क्या लेना देना?”

उन्होंने कहा कि वो उन पर लगाए गए आरोपों के ख़िलाफ़ लड़ेंगे. उन्होंने कहा, “चार्ज फ्रेम किया, किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. मैं लडूंगा. पत्रकार हूं, कहां भाग कर जाऊंगा.”

क्या था पूरा मामला?

सिद्दीक़ कप्पन को पाँच अक्तूबर 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस वक़्त गिरफ़्तार किया था जब वे 19 वर्षीय दलित महिला के साथ हुए ‘सामूहिक बलात्कार’ और हत्या के मामले को कवर करने हाथरस जा रहे थे.

कप्पन और उनके तीन साथियों पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन पर पर चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया से संबंध रखने का आरोप लगाया.

गिरफ़्तारी के बाद से कप्पन मथुरा की एक जेल में बंद रहे और कुछ ही दिन पहले कोरोना वायरस से ग्रस्त होने पर उन्हें मथुरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस की एफ़आईआर में कप्पन पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत राजद्रोह, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के लिए जान-बूझ कर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से उकसाने के आरोप लगाए गए.

साथ ही, उन पर ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किए गए.

पुलिस का दावा था कि कप्पन को इसलिए गिरफ़्तार किया गया क्योंकि वे दलित लड़की के बलात्कार और हत्या के विरोध के बीच वहाँ क़ानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी करने और जातिगत दंगों की साज़िश रचने के लिए हाथरस जा रहे थे.

उत्तर प्रदेश की अदालत में दायर चार्जशीट में पुलिस ने आरोप लगाया कि कप्पन और अन्य लोगों ने दोहा और मस्कट में स्थित वित्तीय संस्थानों से लगभग 80 लाख रुपये की धनराशि प्राप्त की जिसका मक़सद उत्तर प्रदेश में गड़बड़ी फैलाना था.

पुलिस ने यह दावा भी किया कि कप्पन और उनके साथियों के लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन से कई सबूत बरामद किए गए हैं.

उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना था कि कप्पन जिस केरल स्थित समाचार पत्र का पहचान पत्र दिखाकर ख़ुद को पत्रकार बता रहे थे वो 2018 में बंद हो गया था.

इसके बाद बीबीसी से बात करते हुए कप्पन के वकील विल्स मैथ्यूज़ ने कहा था कि उन्हें अस्पताल में उनके बिस्तर से बाँध कर रखा गया है.

केरल के सीएम ने लिखी थी सीएम योगी को चिट्ठी

2021 अप्रैल तक सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी केरल और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद का मुद्दा बन गई.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा था कि कप्पन की तबीयत काफ़ी गंभीर, जबकि उन्हें यूएपीए के तहत हिरासत में रखा गया है.

विजयन ने सीएम आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और उनके साथ मानवीय व्यवहार करने की बात की थी.

उन्होंने लिखा, “ऐसा बताया जा रहा है कि उन्हें डायबिटीज़ है, दिल की बीमारी है, कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें मथुरा के केवीएम अस्पताल में भेजा गया है जहाँ अस्पताल के बिस्तर पर ज़ंजीर से बांधकर रखा गया है जबकि उनकी हालत काफ़ी गंभीर है.”

हालांकि इस मामले में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बीबीसी से कहा था कि सिद्दीक़ कप्पन को अस्पताल में सीसीटीवी की निगरानी में रखा गया है.

उन्हें बिस्तर से बांधकर रखने की बात पर उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा, “वे केवल सीसीटीवी की निगरानी में हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक-ठाक है.”

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