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मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना: गांवों में आजीविका विकास को शुरू होंगी औद्यानिकी, ईको टूरिज्म जैसी गतिविधियां

उत्‍तराखंड सरकार ने पलायन प्रभावित गांवों में आजीविका विकास पर ध्यान केंद्रित करने की ठानी है। प्रथम चरण में उन 42 विकासखंडों को लेने की तैयारी है जिनके गांवों में वर्ष 2001 से 2011 के बीच जनसंख्या घटी है।

देहरादून: आजीविका के अवसर के साथ ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों तो कोई अपनी जड़ों को क्यों छोड़ेगा। यही नहीं, गांव छोड़ चुके लोग भी वापस लौटेंगे। सरकार ने भी इस बात को महसूस किया है और उसने पलायन प्रभावित गांवों में आजीविका विकास पर ध्यान केंद्रित करने की ठानी है।

इसके अंतर्गत प्रथम चरण में उन 42 विकासखंडों को लेने की तैयारी है, जिनके गांवों में वर्ष 2001 से 2011 के बीच जनसंख्या घटी है। इन गांवों में मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के अंतर्गत कृषि, औद्यानिकी, ईको टूरिज्म, पर्यटन, स्वयं सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों के लिए विपणन केंद्र की व्यवस्था जैसी गतिविधियों के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।

पलायन की रोकथाम के दृष्टिगत राज्य में संचालित मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के दृष्टिगत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले पलायन निवारण आयोग से सुझाव मांगे थे। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि गांवों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के साथ ही आजीविका विकास पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाए।

आजीविका विकास के लिए विभिन्न गतिविधियों का संचालन क्लस्टर आधार पर किया जाना चाहिए। आयोग ने सुझाव दिया कि 10-12 गांवों का एक क्लस्टर बनाकर वहां की परिस्थिति के अनुसार गतिविधि का चयन कर उसे बढ़ावा देना होगा। सरकार ने अब ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों को इसी के अनुरूप रणनीति बनाने को कहा है।

समय पर जारी हो योजना का बजट

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में पिछले वर्ष 25 करोड़ की धनराशि का प्रविधान किया गया था, लेकिन यह धनराशि विभागों को इस वर्ष फरवरी की शुरुआत में जारी की गई। ऐसे में कार्य नहीं हो पाए। इसे देखते हुए आयोग ने इस तरह की परिपार्टी को खत्म करने पर भी जोर दिया है।

समय पर जारी हो योजना का बजट

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में पिछले वर्ष 25 करोड़ की धनराशि का प्रविधान किया गया था, लेकिन यह धनराशि विभागों को इस वर्ष फरवरी की शुरुआत में जारी की गई। ऐसे में कार्य नहीं हो पाए। इसे देखते हुए आयोग ने इस तरह की परिपार्टी को खत्म करने पर भी जोर दिया है।

आयोग ने ये भी दिए सुझाव

  • पलायन प्रभावित गांवों में 60 प्रतिशत अन्य विभागों और शेष राशि मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना से हो खर्च।
  • कम से कम तीन वर्ष तक पलायन प्रभावित गांवों में आजीविका विकास पर दिया जाए विशेष जोर।
  • योजना के क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारी व बीडीओ के माध्यम से हो निगरानी की व्यवस्था।
  • मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही जारी की जाए धनराशि।

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना को लेकर सरकार गंभीरता से कदम उठाने जा रही है। इसमें आजीविका विकास पर विशेष जोर रहेगा। साथ ही समय पर बजट की उपलब्धता, अन्य विभागों के साथ तालमेल, उत्पादों के विपणन की व्यवस्था जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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