हर देश ने संभावित प्रतिद्वंद्वी से आशंकित होकर अपने रक्षा खर्च में किया इजाफा, पढ़ें पूरी खबर ..
रूस की ओर से यूक्रेन पर किए गए हमले, चीन की आक्रामकता और अकसर उत्तर कोरिया की तरफ से परमाणु युद्ध की धमकी ने दुनिया में जंग का माहौल बना दिया है। 2022 में कोविड से भले ही दुनिया भर के देश उबरते दिखे, लेकिन युद्ध के माहौल ने हालात बिगाड़ दिए। हर देश की अपनी आशंकाएं हैं और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। यही वजह है कि हर देश ने संभावित प्रतिद्वंद्वी से आशंकित होकर अपने रक्षा खर्च में इजाफा कर दिया है। इसके चलते बीते साल में दुनिया का रक्षा खर्च 2 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।
सबसे ज्यादा रक्षा खर्च करने वाले देशों में अमेरिका टॉप पर है, चीन दूसरे नंबर पर है और भारत तीसरे नंबर पर है। यही नहीं अब तक के डेटा से अनुमान लगाया जा रहा है कि 2023 में हथियारों की खरीद में और ज्यादा इजाफा हो सकता है। खासतौर पर अपनी रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहने वाले जापान ने भी चीन और नॉर्थ कोरिया के आक्रामक रुख को देखते हुए रक्षा खर्च में इजाफा कर दिया है। इसके अलावा रूस के यूक्रेन पर हमले से डरे जर्मनी में भी हथियारों पर खर्च बढ़ गया है। भारत, जापान और जर्मनी जिन चीजों पर सबसे ज्यादा खर्च कर रहे हैं, उनमें ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम, फाइटर जेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल हैं।
जापान, जर्मनी से लेकर भारत तक ने की बड़ी तैयारी
भारत ने भी इस साल रक्षा खर्च में बड़े इजाफे की योजना तैयार की है। इसके अलावा जर्मनी भी 106 अरब डॉलर की रकम अपनी सेना पर खर्च कर रहा है। एलएसी पर चीन की ओर से सेना और हथियारों की तैनाती में इजाफा हुआ है। इसके चलते भारत ने भी अपने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। यहां तक कि हथियारों की रेस से बचने वाले जापान ने अगले 5 सालों में अपने रक्षा खर्च को दोगुना करने का फैसला लिया है। यही नहीं यूक्रेन ने तो अपने कुल बजट के 44 फीसदी हिस्से को ही इस साल रक्षा खर्च के लिए आवंटित करने का फैसला लिया है। इसके तहत कुल 30 अरब डॉलर की रकम खर्च की जाएगी।
साउथ कोरिया ने भी बढ़ा दिया है अपना रक्षा खर्च
जापान ने अपने बेड़े में बड़ी संख्या में फाइटर जेट्स, एयर डिफेंस सिस्टम को शामिल करने का फैसला लिया है। इसके तहत वह कुछ यूरोपीय देशों के साथ डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को लेकर साझेदारी कर सकता है। पड़ोसी देश नॉर्थ कोरिया की तरफ से मिसाइलों में न्यूक्लियर हथियारों पर बड़े पैमाने पर खर्च ने उत्तर कोरिया की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। दक्षिण कोरिया ने अगले 5 सालों में अपने रक्षा खर्च में हर साल 6.8 फीसदी का इजाफा करने का फैसला लिया है।
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