सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी जारी करने से पहले जरूरी है डाटा सुरक्षा कानून की जरूरत पर दिया बल
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पेश किए जाने से पहले, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को डाटा गोपनीयता के मुद्दे को लेकर योजनाओं पर आगे बढ़ने से पहले एक विश्वसनीय डेटा सुरक्षा कानून की जरूरत पर बल दिया है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने इस पर बयान देते हुए यह कहा कि, “इस तरह के कानूनी ढांचे की कमी के चलते सीबीडीसी को सही तरह से मैनेज करने में मुश्किलें हो सकती थीं। मुझे उम्मीद है आरबीआइ द्वारा लागू की जाने वाली डिजिटल करेंसी को इस कानून से लाभ मिलेगा। हमें यह समझना होगा कि, मजबूत डाटा सुरक्षा ढांचे की अनुपस्थिति इससे पहले भी देश में, कई अन्य पहलुओं में चिंता का विषय रही है।”
एनएसई और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में आयोजित किए गए एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि, “सीबीडीसी में मुद्रा के प्रवाह के तरीके का पूरा पता लगाया जा सकेगा, जबकि कैश करेंसी में प्रवाह का पता लगाना मुश्किल होता था। यह सरकार और आरबीआई को मुद्रा की हर एक इकाई के इस्तेमाल का डाटा प्रदान करेगा। साथ ही सीबीडीसी के जरिए नशीली दवाओं की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी कुछ गतिविधियों को कम करने में मदद मिल सकती है।”
उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि, “हमारी खरीदारी को लेकर आरबीआई या सरकार के पास इससे जुड़ी जानकारी होने के कारण लोगों को कुछ हद तक असुविधा हो सकती है। मुझे लगता है कि, अगर हम सीबीडीसी को लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहे हैं तो, हमारे पास एक मजबूत डाटा सुरक्षा कानून होना चाहिए। यह ना केवल देश के भीतर बल्कि बाहर के लोगों के लिए भी विश्वसनीय है। जिस वजह से सीबीडीसी जारी करने में डाटा संरक्षण कानून काफी जरूरी है। विश्व स्तर पर डिजिटल करेंसी के विकास के साथ तालमेल बिठाने के लिए, भारत जैसी उभरती बाजार अर्थव्यवस्था के लिए सीबीडीसी को जारी करने को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।”
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