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दिन में तीन बार रंग बदलता है ताजमहल, जाने इससे जुड़ी कुछ और रोचक बातें

ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। प्यार के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले ताजमहल की गिनती दुनिया के 7 अजूबों में भी की जाती है और सिर्फ भारत के लोग ही नहीं इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं। भव्यता के कारण 1983 में ताजम​हल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। वहीं इसे भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया जा चुका है। वैसे ताजमहल के बारे में काफी हद तक लोगों को जानकारी होगी ही, लेकिन आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ रोचक बाते बताने जा रहे है जिनकों जानने के बाद आपको बेहद मजा आने वाला है।



एक बात जो आपको बेहद अजूबी लगे, लेकिन ये सच हर कि ताज दिन में अपना तीन बार रंग बदलता है। रंग में बदलाव रोशनी और समय के आधार पर देखने को मिलता है। ताजमहल सुबह के वक्त गुलाबी और शाम के समय दूधिया सफेद और चांदनी में सुनेहरा दिखाई देता है। अगर आप एक से ज्यादा बार अलग-अलग समय पर ताजमहल देखने गए हैं, तो आपने इस बात पर गौर जरूर किया होगा कि ताजमहल का रंग दिन के समय कुछ और रात एक समय कुछ होता है। अगर आपने ये चीज गौर नहीं की है, तो इस बार जरूर करें।

मजदूरों के नहीं काटे गए थे हाथ

ताजमहल से जुड़ा फैक्ट जो सबसे ज्यादा लोगों द्वारा एकदूसरे को बताया जाता है कि शाहजहाँ ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि इस जैसा स्मारक फिर से न बन सके। इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात के साक्ष्य अभी नहीं मिले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि श्रमिकों को न केवल अच्छी तनख्वाह दी जाती थी बल्कि ताजमहल के निर्माण के लिए आवश्यक उनके कौशल के लिए भी उनका सम्मान किया जाता था।

ताजमहल के केंद्र में शाहजहाँ और मुमताज महल दोनों की कब्रें हैं। ये कब्रें खाली स्मारक मकबरे हैं और दोनों को नीचे एक कक्ष में अचिह्नित कब्रों में दफनाया गया है क्योंकि इस्लाम में कब्रों की सजावट मना होती है।

मध्य प्रदेश में बनना था ताजमहल

सुनने में आपको ये अजीब लगे, लेकिन ताजमहल आगरा में नहीं बनाया जाना था। इससे पहले बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में बनना था, जहां मुमताज की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से, बुरहानपुर में पर्याप्त संगमरमर की आपूर्ति नहीं हो पाई और इसलिए आखिर में आगरा में ताजमहल बनाने का निर्णय लिया गया।

हालाँकि, जब ताज के बारे में बात की जाती है, तो शाहजहाँ और मुमताज महल के बीच प्रेम कहानी पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। आपको बता दें ताज के बाहर कई मकबरे हैं, लेकिन उसी परिसर में जहां शाहजहां की अन्य पत्नियों और पसंदीदा नौकरों को दफनाया गया है।

15 वर्षों में तैयार हुआ सिर्फ गुंबद, 20 हजार से अधिक मजदूर लगाए गए थे


42 एकड़ में फैले इस अद्भुत ताजमहल को बनाने के लिए करीब 20 हजार से अधिक मजदूर लगाए गए थे और 22 वर्षों (1631 – 1653) में ताजमहल बनकर पूरा हुआ। कई चरणों में इसका काम पूरा किया गया। सिर्फ गुंबद बनाने में ही 15 वर्ष लग गए थे, शेष 7 वर्षों में बाकी काम पूरा किया गया। इस दौरान 1000 से अधिक हाथियों की मदद से संगमरमर के पत्थरों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम किया जाता था। ताजमहल मुख्य रूप से सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर था जिसे परिवहन की आवश्यकता थी, और इसे पूरे भारत और मध्य पूर्व से प्राप्त किया गया था। लाल बलुआ पत्थर फारसी वास्तुकला में आम है और दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद जैसी अन्य मुगल संरचनाओं में भी इन पत्थरों को देखा जा सकता है, जबकि सफेद संगमरमर का उपयोग परमात्मा के प्रतिनिधित्व के रूप में किया गया था।

विदेशों से कुशल कारीगरों को बुलाया गया था

जड़ाई के काम के लिए कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था जो लगभग 28 विभिन्न प्रकार के थे। ये पत्थर श्रीलंका, तिब्बत, चीन और यहां तक कि भारत के कई स्थानों से मंगवाए गए थे। दीवारों में उकेरी गई सुलेख में कुरान के छंद शामिल हैं जिनमें स्वर्ग की बातें लिखी गई हैं। ताजमहल को बनाने के लिए ​विदेशों से कुशल कारीगरों को बुलाया गया था। उनमें से 37 दक्ष कारीगर इकट्ठे किए गए, जिनकी देखरेख में करीब बीस हजार मजदूरों ने काम किया। शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी इसके निर्माण कार्य के प्रमुख थे। लाहौरी पर्शियन थे और उन्हें ईरान से बुलाया गया था।

लकड़ी पर टिकी इमारत

यह बात जानकर आपको हैरानी होगी कि ताजमहल की इमारत एक लकड़ी पर बनाई गई है। इस लकड़ी को नमी की जरूरत होती है। जैसे—जैसे इसे नमी मिलती है ये और मजबूत होती है। यही कारण है कि ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे किया गया। ताजमहल के चारों तरफ चार मीनारें बनाई गई हैं। ये मीनारें ताजमहल को संतुलन देती हैं। इन मीनारों को बाहर की तरफ हल्का सा झुकाव दिया गया है ताकि आपदा के समय ये मीनारें मकबरे पर न गिरकर बाहर की ओर गिरें।

काला ताजमहल भी बनवाना चाहते थे शाहजहाँ

ये बात जानकार आपका मजा शायद और बढ़ जाए, आपको बता दें शाहजहाँ सफेद संगमरमर के ताजमहल के अलावा काला ताजमहल भी बनवाना चाहता था। शाहजहाँ ने ताजमहल का कार्य पूरा करने के बाद नदी के उस पार संगमरमर में एक और ताजमहल बनवाने का इरादा बनाया था, लेकिन वो इच्छा शाहजहाँ की पूरी न हो सकी, क्योंकि उसके बेटे औरंगजेब ने 1658 में उसे बंदी बना लिया था।

हिंदूओं के दावे, शिव मंदिर है ताजमहल

हिंदू समुदाय के लोगों का दावा है कि ताजमहल वास्तव में शिवमंदिर है। इसका नाम तेजोमहालय है। उनका तथ्य है कि शाहजहां की बेगम का नाम मुमताज़ था, मुमताज़ की स्पेलिंग में आखिर में ज़ेड आता है ज​बकि ताजमहल में जे। इसके अलावा यदि इसमें मुम शब्द को लगा रहने देते तो भी कुछ नहीं बिगड़ता, फिर मुम शब्द क्यों हटाया गया। इसके अलावा महल मुस्लिम शब्द नहीं है। किसी भी मुस्लिम देश में ऐसी इमारत नहीं है जिसके नाम में महल शब्द का प्रयोग किया गया हो. पी एन ओक की पुस्तक ताजमहल इज़ ए हिन्दू टेंपल में ऐसी तमाम दलीलें देखी जा सकती हैं जो इस इमारत को शिव मंदिर साबित करती हैं।

ताजमहल के सभी फव्वारे एक साथ काम करते है इनके नीचे एक टैंक लगा है। टैंक भरने के बाद दबाव बनने पर ये फव्वारे एकसाथ पानी छोड़ते हैं।

अगर आप ये सोचते हैं कि कुतुब मीनार को ताजमहल से ऊंचा माना जाता है, तो आप गलत हैं। क्योंकि ताजमहल पांच फीट के अंतर के साथ कुतुब मीनार से भी लंबा है।

औरंगाबाद में बना बीवी का मकबरा ताजमहल की नकल से बनाया गया था। उसे मिनी ताजमहल भी कहा जाता है।

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