National

तमिलनाडु बाढ़ पर मद्रास हाई कोर्ट सख्त, कहा- बारिश-बाढ़ सरकारी अधिकारियों के लिए सबक

मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि तमिलनाडु में बारिश और बाढ़ सरकारी अधिकारियों के लिए एक सबक है। कोर्ट ने ग्रेटर चेन्नई कारपोरेशन को शहर में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ को लेकर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि साल के पहले 6 महीनों में नागरिक पानी के लिए तरसते हैं और बाद के महीनों में पानी के कारण (बाढ़) मारे जाते हैं।

चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस पीडी ओदिकेसावालु ने एक झील पर अतिक्रमण से संबंधित याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि 2015 की बाढ़ के बाद पिछले पांच वर्षों से अधिकारी क्या कर रहे थे? पीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह (अवमानना) कार्यवाही शुरू करने में संकोच नहीं करेगा।

याचिका में कहा गया था कि अदालत अरियालुर जिला प्रशासन को आदेश दे कि यहां के एक गांव में कब्जा की गई 1.03 हेक्टेयर भूमि को खाली करवाया जाए, क्योंकि यह इलाका ममानक्का नामक झील का है, जो सूख गई है। हैरानी की बात यह है कि इस झील पर एक अकेले शख्स ने कब्जा किया हुआ है। अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया कि झील को उसकी मूल स्थिति में वापस लाया जाए और इस काम के लिए कब्जा करने वाले शख्स से पैसा वसूला जाए।

 पीठ ने कहा, चेन्नई समेत राज्य के कई इलाकों में बारिश के कारण आ रही बाढ़ को इस मामले से अलग नहीं रखा जा सकता। ऐसे में सरकारी अधिकारियों के लिए यह एक सबक है कि वे जल निकायों व नदियों या बरसात के दौरान बहने वाले पानी के रास्ते में अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तहसीलदार जांच करे और जल निकाय में अतिक्रमण होने की स्थिति में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दे।

किसी भी प्रकार के कवरेज के लिए संपर्क AdeventMedia: 9336666601

अन्य खबरों के लिए हमसे फेसबुक पर जुड़ें।

आप हमें ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं.

हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Related Articles

Back to top button
Event Services