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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली और इससे सटे इलाकों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिये कई अहम सुझाव

तीन दिनों से लगातार दिल्ली में जारी वायु प्रदूषण में आज मामूली कमी आई है। तेज हवाओं के कारण यह कमी दर्ज हुई है, जिससे हवा की गुणवत्ता गंभीर से बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है। इस बीच, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(Central Pollution Control Board) ने दिल्ली और इससे सटे इलाके(एनसीआर) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया है कि सड़कों की मशीनीकृत सफाई और सड़कों पर पानी के छिड़काव को बढ़ाना, सभी ईंट भट्टों को बंद रखने और मौजूदा प्राकृतिक गैस आधारित संयंत्रों से बिजली उत्पादन को अधिकतम करने जैसे उपायों से वायु प्रदूषण में कमी लाई जा सकती है।

वायु गुणवत्ता खराब और गंभीर के बीच रहेगी

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता की समीक्षा की और कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान पराली जलाने का वायु प्रदूषण में योगदान बढ़ेगा तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणियों के बीच रहेगा। स्थिति का जायजा लेते हुए बोर्ड ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को सड़कों पर पानी के छिड़काव के साथ-साथ श्रेणीबद्ध कार्रवाई योजना (ग्रैप) का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।

‘बहुत खराब’ श्रेणी की ही रहेगी हवा

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि हवा की गति आठ किमी प्रति घंटे से 14 किमी प्रति घंटे के बीच थी। सफर(SAFAR) ने हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार की भविष्यवाणी की लेकिन कहा कि यह अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी की ही बनी रहेगी। पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने से होने वाली हिस्सेदारी 5 नवंबर को 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। 2019 में पराली जलाने से 1 नवंबर को दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण का 44 प्रतिशत हिस्सा था।

संबंधित एजेंसियों को संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों एवं समितियों को रोजाना रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। सीपीसीबी ने कहा, ‘‘ उप-समिति ने आठ नवंबर को एक बैठक बुलाई थी और उसने वायु गुणवत्ता दर्जे, मौसम एवं वायु प्रदूषण अनुमान की समीक्षा की।

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