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कांग्रेस में अध्‍यक्ष पद को लेकर चर्चाएं शुरू ,क्‍या राहुल गांधी फिर संभालेंगे पार्टी की कमान

कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद पर गैर गांधी-नेहरु नेताओं को भी लंबा इतिहास रहा है। हालांकि कांग्रेस के इतिहास में सोनिया गांधी का अध्यक्ष के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। गांधी परिवार के अध्यक्षों के नेतृत्व में कांग्रेस ने 10 में से 4 चुनाव हारे।

 कांग्रेस में अध्‍यक्ष पद को लेकर फिर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। एक बार फिर कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा राहुल गांधी का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन कुछ वरिष्‍ठ नेता राहुल गांधी के नाम का पिछले काफी समय से विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस में जारी अंतर्कलह के बीच सवाल उठ रहा है कि क्‍या 134 साल पुरानी पार्टी को इस बार कोई गैर नेहरू-गांधी अध्यक्ष मिलेगा? 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 19 अध्यक्ष हुए हैं। आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी के अध्‍यक्ष बने नेताओं की सूची पर नजर डालें तो इसमें गैर नेहरू-गांधी काफी नाम हैं। आइए आपको बताते हैं, अब तक कौन-कौन रहा है कांग्रेस पार्टी का अध्‍यक्ष।

जेबी कृपलानी (1947-48)

आजाद भारत में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के पहले अध्‍यक्ष जेबी कृपलानी चुने गए थे। कांग्रेस के पहले अध्यक्ष चुने गए। उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी दी गई थी। कृपलानी ने 1948 तक अध्यक्ष पद की कमान संभाली।

पट्टाभि सीतारमैया (1948-49)

पट्टाभि सीतारमैया 1948 से 49 तक कांग्रेस के अध्‍यक्ष रहे। उन्होंने जयपुर कांफ्रेंस की अध्यक्षता की थी। हालांकि, सीतारमैया के पास भी एक साल तक पार्टी की जिम्मेदारी रही।

पुरुषोत्तम दास टंडन (1949-50)

पुरुषोत्तम दास टंडन 1949-50 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। नासिक अधिवेशन की अध्यक्षता टंडन ने ही की थी। इन्‍होंने ही हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग की थी।

पंडित जवाहर लाल नेहरु(1951-1954)

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने 1951 में कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद की कमान संभाली थी। वह इस पद पर 1954 तक रहे।

यूएन ढेबर (1955-59)

यूएन ढेबर ने भी कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी। इस दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की थी। यूएन ढेबर ने लंबे समय तक कांग्रेस की कमान संभाली। उनके बाद 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष चुनी गईं।

नीलम संजीव रेड्डी (1960-63)

नीलम संजीव रेड्डी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान 3 सालों तक संभाली। इसके बाद रेड्डी को भारत का छठा राष्ट्रपति चुना गया था।

के. कामराज (1964-67)

भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के. कामराज 1964 से 1967 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।

एस. निजलिंगप्पा (1968-69)

एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। वह एक स्‍वतंत्रता सेनानी भी थे। कांग्रेस में भी उन्‍हें काफी सम्‍मान दिया जाता था।

बाबू जगजीवन राम(1970-71)

कांग्रेस के कद्दावर नेता बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। एक समय जगजीवन राम प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जाते थे। हालांकि, वे इस पद पर पहुंच नहीं पाए।

शंकर दयाल शर्मा (1972-74)

1972 से 1974 तक शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद शंकर दयाल शर्मा को भी राष्ट्रपति बनने का मौका मिला।

देवकांत बरुआ (1975-77)

1975-77 तक देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बरुआ जब कांग्रेस के अध्‍यक्ष बने तो देश में इमरजेंसी का दौर था। बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का नारा दिया था।

ब्रह्मनंद रेड्डी (1977-78)

1977-78 तक ब्रह्मनंद रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया।

इंदिरा गांधी (1978-84)

कांग्रेस का विभाजन होने के बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं। वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं। इस दौरान कई दावेदारियां हुईं, लेकिन सभी को दरकिनार कर दिया गया।

राजीव गांधी (1985-1991)

इंदिरा गांधी की 1984 में हत्‍या होने के बाद राजीव गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथों में ली। हालांकि, राजीव गांधी की राजनीति में रुचि नहीं थी, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्‍हें सक्रिय राजनीति में आना पड़ा।

पीवी नरसिम्‍हा राव (1991-96)

नरसिम्हा राव ने भारत की विकास यात्रा में अहम भूमिका निभाई थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। नरसिम्हा राव बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने।

सीताराम केसरी (1996-98)

पीवी नरसिम्‍हा राव के बाद सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने। उन्होंने कोलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। लेकिन इस समय कांग्रेस की स्थिति काफी खराब थी। पार्टी को एक मजबूत नेतृत्‍व की जरूरत थी। ऐसे में सोनिया गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई।

सोनिया गांधी (1998-2017 और 2020 से अब तक)

सेनिया गांधी को 1998 में कांग्रेस का अध्‍यक्ष चुना गया। इसके बाद पार्टी एकजुट हुई और सत्‍ता में वापसी करने का प्रयास करने लगी। सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद पर रही हैं। 2020 में राहुल गांधी के अध्‍यक्ष छोड़ने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंतरिम अध्‍यक्ष पद के रूप में जिम्‍मेदारी संभाली। सोनिया गांधी अब भी कांग्रेस के अंतरिम अध्‍यक्ष के पद पर काबिज हैं।

राहुल गांधी (2017-2019)

राहुल गांधी को 2017 में कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद के लिए चुना गया था। इस दौरान पार्टी में कई बगावत के सुर भी सुनाई दिए, लेकिन इन्‍हें अनसुना कर दिया गया। 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्‍व में ही लड़ा था, जिसमें पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में राहुल गांधी ने पार्टी अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दे दिया

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