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उत्तर कोरिया ने फिर मचाई खलबली, जापान की तरफ दागी बैलिस्टिक मिसाइल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध के बावजूद उत्तर कोरिया (North Korea) अपने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल  कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में जुटा है. दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ (JCS) का हवाला देते हुए बताया गया है कि उत्तर कोरिया ने जापान  के सागर में एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी है.

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ताबड़तोड़ मिसाइल टेस्ट कर रहा उत्तर कोरिया

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले भी दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा था कि उत्तर कोरिया ने जापान के सागर में एक अज्ञात मिसाइल लॉन्च की, लेकिन इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ सकी थी. बता दें कि उत्तर कोरिया पिछले कुछ समय से ताबड़तोड़ मिसाइल टेस्ट कर रहा है. हालांकि सुंयुक्त राष्ट्र उत्तर कोरिया पर बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों के परीक्षण के लिए प्रतिबंध लगा चुका है.

जापानी कोस्ट गार्ड ने जारी की चेतावनी

जापान की सरकार मानकर चल रही है कि उत्तर कोरिया की तरफ से दागी गई मिसाइल एक बैलिस्टिक मिसाइल हो सकती है. अब खतरे को देखते हुए जापानी तटरक्षक बल (Coast Gaurd) ने संभावित टेस्ट के लिए जहाजों को चेतावनी जारी कर दी है. जापानी तटरक्षक बल ने समुद्री सुरक्षा से जुड़ी चेतावनी जारी की है. हालांकि ये साफ नहीं हो सका है कि मिसाइल किस निशाने को ध्यान में रखकर दागी गई थी. वहीं हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने जापान का रक्षा बजट बढ़ाकर सुरक्षा क्षमता को बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर देने की बात कही थी.

दक्षिण कोरिया ने बुलाई बैठक

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने मिसाइल लॉन्च पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित की है. बता दें कि एक महीने की शांति के बाद उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू कर दिए हैं.

उत्तर कोरिया के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत सुंग किम आने वाले दिनों में सियोल में अमेरिकी सहयोगियों के साथ बैठक कर उत्तर कोरिया के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे.

बता दें कि वाशिंगटन और प्योंगयांग के बीच परमाणु वार्ता दो साल से अधिक समय से रुकी हुई है. उत्तर कोरिया ने शर्त के बिना बातचीत शुरू करने के लिए बाइडेन प्रशासन के प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया है. उत्तर कोरिया की तरफ से कहा गया है कि अमेरिका को पहले अपनी शत्रुता वाली नीति को छोड़ना होगा.

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