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MP: 27 साल की इस महिला के पास है ‘श्री अन्न’ का भंडार, बांट रही हैं जीवनभर की कमाई

मोटा अनाज कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, जैसे खनिजों के अलावा प्रोटीन और फायबर में भी समृद्ध होता है, वहीं इनमें पानी की जरूरत भी बेहद कम होती है. ऐसे सुपरफूड के लिए लहरीबाई जैसी सुपरवुमन को एक सलामी तो बनता है.

भोपाल: 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अपील पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस साल को ‘मिलेट्स ईयर’ (International Year of the Millet 2023) )घोषित किया है. बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में ‘मिलेट्स’ यानी मोटे अनाज ‘श्री अन्न’ कहा. वित्त मंत्री ने ‘श्री अन्न’ (Shree Anna)के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया. देश में कई थालियों से ये मोटे अनाज गायब होने लगे थे, लेकिन डिंडौरी जिले की लहरीबाई जैसे लोगों की बदौलत इसकी कई किस्में संरक्षित हैं. अब लहरीबाई के इस खजाने को सहेजने के लिए सरकारी संरक्षण की जरूरत है.

मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले के सिलपीड़ी गांव में 27 साल की लहरीबाई के पास मढिया, सलहार, साभा, कुट्टू, चीना, कोदो, कुटकी, रागी जैसे मोटे अनाज का खजाना है. मोटे अनाज में शामिल ये नाम लोगों की थाली से तो क्या…जुबान और खेतों से भी गायब हैं. दो कमरे के घर में से एक कमरे में बीजों को इस तरह सहेजकर रखा गया है जैसे किसी बैंक के लॉकर में जेवरात हो. ये लहरीबाई का बीज बैंक है.

एनडीटीवी से बातचीत में लहरीबाई कहती हैं, ‘हमारी दादी और परिवार के बुजुर्ग सदस्य पहले इसे खाकर स्वस्थ रहे. लंबे समय तक जीवित रहे. लेकिन अब ये खाने से गायब होने लगा है. मुझे इसके बारे में बताया गया, तो मैंने इसको संजोया. इसमें सलहार, सिखिया, सावां, कतकी, डोंगर कुट्टी जैसे मोटे अनाज शामिल हैं.’

इलाके में बांट रहीं ‘श्री अन्न’
लहरीबाई अपने जीवनभर की कमाई को इलाके में बांट रही हैं, ताकि किसान मोटे अनाज की खेती की ओर लौटें. घर की जिम्मेदारियों और बुजुर्ग मां-बाप की वजह से उन्होंने शादी नहीं की. गांव में पानी की भी किल्लत है. लहरीबाई कहती हैं, ‘पक्का आवास, गैस सिलेंडर मिला है. लेकिन पैसा नहीं है. पानी के लिये पहाड़ के नीचे जाते हैं. शिकायत तो है, लेकिन हिम्मत में कोई कमी नहीं है.’ 

क्या कहती है बीजेपी?
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी कहते हैं, ‘श्रीअन्न योजना और वेयरहाउसिंग को जोड़ना चाह रहे हैं. हम सर्वे शुरू कर रहे हैं. व्यावसायिक योजनाओं में हमें भी जागरूक होने की जरूरत है.’

क्या कहती है कांग्रेस?
वहीं, यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया कहते हैं, ‘आदिवासी समाज में कई ऐसे उदाहरण मिलेंगे, जो देश, समाज के लिये कुछ कर रहे हैं. लेकिन ऐसे लोग लंबे वक्त तक संघर्ष करते हैं और सरकार नजरअंदाज करती रहती है, तो उनमें काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है.’

मोटे अनाज के उत्पादन में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश
मोटे अनाज के उत्पादन में देश में छत्तीसगढ़ अव्वल है. दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश आता है. सरकार बाजरा, ज्वार तो फिर भी समर्थन मूल्य पर खरीद रही है, लेकिन बाकी के मोटे अनाज के सवाल पर वो चुप्पी साध लेती है. इस मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, ‘हमारी सरकार मिलेट्स को बढ़ावा देगी. डिंडौरी में बहुत पहले कोदो कुटकी की प्रोसेसिंग हमारे महिला स्वयं-सहायता समूह से करवाना शुरू कर दिया था.’

बता दें कि मोटा अनाज कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, जैसे खनिजों के अलावा  प्रोटीन और फायबर में भी समृद्ध होता है, वहीं इनमें पानी की जरूरत भी बेहद कम होती है. ऐसे सुपरफूड के लिए लहरीबाई जैसी सुपरवुमन को एक सलामी तो बनता है.

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