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Chaitra Navratri 2023: कब से शुरू हो रही हैं चैत्र नवरात्रि? जान लें पूजा और घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri 2023 Date: साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं. साल 2023 और नवसंवत्‍सर 2080 की पहली नवरात्रि यानी कि चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो रही हैं. चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि को ही घर-घर में घटस्‍थापना होगी. 

Chaitra Navratri 2023 March: मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना का पर्व नवरात्रि बहुत पवित्र समय माना जाता है. देवी भक्‍तों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. हर साल 4 नवरात्रि पड़ती हैं, इसमें से 2 प्रत्‍यक्ष और 2 गुप्‍त नवरात्रि होती हैं. प्रत्‍यक्ष नवरात्रि में मां अंबे की साधना करने के साथ-साथ उत्‍सव भी मनाया जाता है. जबकि गुप्‍त नवरात्रि में गुप्‍त रूप से माता की आराधना की जाती है. अपने तमाम कष्‍टों को दूर करने के लिए और मातारानी की कृपा पाने के लिए नवरात्रि का पर्व सबसे अच्‍छा होता है. 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि शुरू होने जा रही हैं. जो कि राम नवमी के दिन समाप्‍त होंगी.  

चैत्र नवरात्रि की तारीख और शुभ मुहूर्त 

चैत्र माह की नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से शुरू होती हैं और इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र प्रतिपदा तिथि 21 मार्च की रात 10 बजकर 52 मिनट से होगी और अगले दिन 22 मार्च 2023 की रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्‍त होगी. उदया तिथि के अनुसार नवरात्रि की शुरूआत 22 मार्च से होगी, जो 30 मार्च को रामनवमी तक चलेगी. इसी दिन से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 भी शुरू होगा. महाराष्‍ट्र समेत कई राज्‍यों में इस दिन गुड़ी पड़वा का त्‍योहार मनाया जाता है. इस साल चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना 22 मार्च को की जाएगी. 22 मार्च को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 7 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. 

चैत्र नवरात्रि पर ऐसे करें व्रत-पूजा 

– चैत्र नवरात्रि के व्रत रखना बहुत लाभदायी होता है. यदि 9 दिन व्रत कर रहे हैं तो प्रतिपदा तिथि के दिन सुबह जल्‍दी स्‍नान करके व्रत का संकल्‍प लें. नवरात्रि के व्रत आमतौर पर केवल फलाहार करके रखे जाते हैं. वहीं कुछ लोग एक समय भोजन करके भी यह व्रत रखते हैं. 

– नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान से घटस्‍थापना करें. इसके लिए चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. फिर एक मुट्ठी चावल या गेहूं रखकर उस पर जल से भरा हुआ कलश रखें. कलश के मुख पर कलावा बांधें. फिर कलश के पानी में सिक्‍का डालें. कलश पर आम और अशोक के पत्‍ते सजाएं और उस पर नारियल रखें. कलश पर रोली-कुमकुम से स्‍वास्तिक बनाएं. कलश और मां दुर्गा की तस्‍वीर की धूप, दीपक, कुमकुम, अक्षत आदि से पूजा करें. फल अर्पित करें. मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें. आखिर में मां दुर्गा की आरती करें. आखिर में अष्‍टमी या रामनवमी पर कन्‍याओं को भोजन कराएं और उन्‍हें भेंट दें.  

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