भारत की कूटनीति सक्रिय: वैश्विक संकट में निभाई अहम भूमिका

नई दिल्ली, 23 जून 2025 —
पश्चिम एशिया में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी संतुलित और प्रभावशाली कूटनीति का परिचय दिया है। अमेरिकी हमलों और ईरान की प्रतिक्रिया के बाद उत्पन्न संकट की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति के साथ विस्तृत और रणनीतिक बातचीत की। इस संवाद का उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय तनाव को कम करना था, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी था। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि अगर यह टकराव और गहराता, तो दुनिया की करीब 20% तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती थी, जिससे न सिर्फ भारत बल्कि समूचा वैश्विक बाजार अस्थिर हो सकता था। उन्होंने कहा कि भारत की सजग और सक्रिय कूटनीति ने समय रहते जरूरी पहल की, जिससे एक संभावित ऊर्जा आपात स्थिति टल गई।

भारत ने इस संकट में संयम, संवाद और समाधान को प्राथमिकता देते हुए एक संतुलित रुख अपनाया। जहां एक ओर उसने सभी पक्षों से शांति और कूटनीतिक मार्ग अपनाने की अपील की, वहीं दूसरी ओर रणनीतिक संचार के माध्यम से अपने ऊर्जा हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की। भारतीय विदेश मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वार्ताएं कीं और वैकल्पिक आपूर्ति चैनलों की रणनीति पर भी कार्य किया। यह पहल दर्शाती है कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है, जो न केवल अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि विश्व शांति और स्थिरता में भी अहम योगदान देता है।
इस संकट में भारत की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह रणनीति न सिर्फ उसकी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक कूटनीति में उसकी विश्वसनीयता और नेतृत्व को भी सशक्त करती है।
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