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साल में दो नहीं होती है चार नवरात्रि, सबके है अपने अलग महत्व

नवरात्रि का त्यौहार दो बार नहीं बल्कि वर्ष में चार बार आता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की उपासना की जाती है। मान्यता है कि सच्चे मन तथा पूरे विधि पूर्वक जो शख्स मां की उपासना करता है, मां दुर्गा उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं।

गुप्त नवरात्रि का महत्व:
गुप्त नवरात्रि की खास अहमियत बताई गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली मानी गई है। वहीं इस नवरात्रि में की जाने वाली खास पूजा कई तरह की समस्याओं को दूर करने वाली मानी गई है। ऐसा भी कहा जाता कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की पुर्जा की जाती है। इस नवरात्रि पर पूजा तथा उपवास रखने वाले अपनी गुप्त को रखते हैं। इसके पीछे धारणा है कि पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ तथा असर में वृद्धि होती है। गुप्त नवरात्रि में मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की आराधना का विधान है।

गुप्त नवरात्रि:घट स्थापना मुहूर्त:
12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि आरम्भ हो रही है। इस दिन घट मतलब कलश स्थापना का वक़्त पंचांग के मुताबिक सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक बना हुआ है। इस के चलते कलश की स्थापना कर सकते हैं। इस दिन दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। गुप्त नवरात्रि का समापन 21 फरवरी, रविवार के दिन होगा।

इन बातों का रखें ख्याल:
गुप्त नवरात्रि पर उपवास रखने वाले मनुष्य को कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए। गलत कामों से दूर रहकर पूजा पूरी करनी चाहिए। किसी के अहित के बारे में विचार नहीं करना चाहिए तथा सच्ची श्रद्धा से पूजा अर्चना करनी चाहिए।

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