Uttarakhand

बगैर काम किए डेढ़ साल से वेतन ले रहे प्रधान सहायक,अभी तक नगर पालिका ने नहीं दिया कार्यभार

नगर पालिका चम्पावत की एक कारगुजारी और जुड़ गई है। आयोग से करीब डेढ़ साल पूर्व एक कर्मचारी की तैनाती हुई लेकिन ईओ व पालिकाध्यक्ष ने आज तक कर्मचारी को कार्यभार नहीं सौंपा। जबकि उनके दायित्व को अस्थाई कर्मचारी से दिखवाया जा रहा है। यही नहीं पालिका से उन्होंने जब भी काम मांगा तो मना कर दिया गया। डेढ़ साल से पालिका उन्हें बगैर कार्य कराए वेतन दे रही है। वह प्रतिदिन कार्यालय आते हैं और हस्ताक्षर कर गपशप कर चले जाते हैं। यह कर्मचारी हैं प्रधान सहायक योगेश कुमार बालियान।

पूर्व ईओ अभिनव कुमार के कार्यकाल के दौरान पालिका में कई घोटाले हुए। दैनिक जागरण ने आरटीआइ के जरिए सूचना लेने के बाद घोटालों को उजागर किया था। मामले में प्रशासन की कराई जांच में ईओ व दो कर्मचारियों को दोषी मानते हुए निदेशालय ने कार्यवाही के लिए फाइल कार्मिक में करीब एक साल पूर्व भेजी गई लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं। घोटालों की जब जागरण ने पड़ताल की तो पता चला कि कार्यालय के कई अहम पटल के कार्य अस्थाई या वैकल्पिक तौर पर रखे कर्मचारियों से दिखवाया जा रहा है। और नियमित कर्मचारियों से काम नहीं लिया जा रहा या फिर उनसे अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। इसी पड़ताल में एक नाम सामने आया प्रधान सहायक योगेश कुमार का।

10 फरवरी 2020 को लोक सेवा आयोग से प्रधान सहायक पद पर तैनाती हुई। उनकी तैनाती के बाद से आज तक उन्हें चार्ज नहीं दिया गया। चार्ज न मिलने पर उन्होंने इसकी शिकायत पूर्व ईओ, पालिकाध्यक्ष, शहरी निदेशालय, सचिव से भी की लेकिन वहां से भी कोई हल नहीं निकला। उनका कार्य अस्थाई कर्मचारी से दिखवाया जा रहा है। ईओ व पालिकाध्यक्ष द्वारा उन पर ज्यादा विश्वास जताया जा रहा था। लिपिक योगेश का आरोप है कि नए ईओ भुवन चंद्र जोशी के आने के बाद पुन: कार्य मांगा तो पालिकाध्यक्ष ने कार्यभार नहीं दिया। इस पर डीएम विनीत तोमर से शिकायत की गई तो डीएम के आदेश पर निर्माण व स्टोर पटल चार्ज देने का आदेश तो हुआ लेकिन चार्ज हैंडओवर उसके बाद भी नहीं दिया गया। इन सबको करीब डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत गया। वह प्रतिदिन कार्यालय आते हैं और हस्ताक्षर कर चले जाते हैं।

पूर्व ईओ करते थे डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग

लिपिक योगेश ने बताया कि टेंडर कमेटी में नियमित कर्मचारी के डिजिटल हस्ताक्षर (डीएससी) लगते हैं। पूर्व ईओ ने मेरी डीएससी तो बनवाई लेकिन मुझे नहीं दी। वह मुझे बगैर बताए अपने आप मेरी डीएससी का प्रयोग करते थे। मुझे इसके बारे में पता भी नहीं चलने दिया। अब जब रिकॉर्ड देखा तो उसमें मेरी डीएससी लगी हुई थी। उन्होंने बताया कि जैम पोर्टल पर भी अस्थाई कर्मचारी की जैम आइडी बनाई गई है।

माली देख रहा स्टोर का कार्य

लिपिक योगेश ने बताया कि डीएम के आदेश के बाद मुझे निर्माण व स्टोर का चार्ज देने का आदेश हुआ लेकिन चार्ज नहीं मिला। वर्तमान में माली के पद पर वैकल्पिक तौर पर नियुक्त हुए कर्मचारी से स्टोर का कार्य दिखवाया जा रहा है। निर्माण कार्य देख रही कर्मचारी के मातृत्व अवकाश पर जाने के बाद भी चार्ज मुझे न देकर बड़े बाबू को दिया गया। जबकि मैं अभी भी बगैर कार्य किए वेतन ले रहा हूं।  

जिम्मेदारी के बजाय आरोप-प्रत्यारोप

पालिकाध्यक्ष विजय वर्मा का कहना है कि यह काम ईओ का होता है कि किसे दायित्व दिया जाएगा और किसे नहीं। और किससे क्या काम लेना है। ईओ द्वारा मेरे सामने फाइल ही नहीं लाई गई। वैसे भी लिपिक योगेश आए दिन अवकाश पर रहते हैं। जिस कारण कार्य को प्रभावित होने से बचाने के लिए उन्हें चार्ज नहीं दिया गया।

वहीं अधिशासी अधिकारी भुवन चंद्र जोशी का कहना है कि पूर्व ईओ व पालिकाध्यक्ष द्वारा चार्ज नहीं सौंपा गया। मैंने चार्ज संभालने के बाद लिपिक योगेश को चार्ज देने का प्रयास किया तो पालिकाध्यक्ष ने मना कर दिया। डीएम के आदेश के बाद पुन: चार्ज देने का प्रयास किया जा रहा है।

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