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पाकिस्तान में बढ़ रही पत्रकारों के खिलाफ हिंसा,अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कराची प्रेस क्लब में पाकिस्तान जर्नलिस्ट मेमोरियल वेबसाइट की लान्च

पाकिस्तान की इमरान सरकार की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। देश में पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर समाचार संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दो दर्जन पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में संपादकों और समाचार निदेशकों के एक सामूहिक मंच ने मीडिया के खिलाफ इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार की कार्रवाई की जांच के लिए एक वेबसाइट शुरू की है।

डान के अनुसार, एडिटर्स फार सेफ्टी (इएफएस) की टीम ने पाकिस्तान प्रेस फाउंडेशन (पीपीएफ) के साथ मिलकर सोमवार को पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर कराची प्रेस क्लब में पाकिस्तान जर्नलिस्ट मेमोरियल वेबसाइट लान्च की। इएफएस संपादकों और समाचार निर्देशकों का एक सामूहिक मंच है जो बड़ी संख्या में समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और आनलाइन समाचार पोर्टलों का प्रतिनिधित्व करता है। यह विशेष रूप से पाकिस्तान में मीडिया के खिलाफ हिंसा और हिंसा के खतरों से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित है।

डान के अनुसार, यब वेबसाइट पत्रकारों पर किए गए अत्याचारों और हिंसा का एक रिकार्ड प्रदान करेगा। वेबसाइट को डिजाइन करने वाले जहांजैब हक ने कहा है कि यह उनकी टीम द्वारा बनाया गया पहला मेमोरियल नहीं है। इससे पहले इस तरह की मेमोरियल वेबसाइट आर्मी पब्लिक स्कूल हमले के पीड़ितों के लिए भी बनाया गया था। इसके बाद क्वेटा में वकीलों पर हुए हमले को लेकर भी इसी तरह की वेबसाइट बनाई गई थी।

उन्होंने कहा कि मैं आमतौर पर हमारी वेबसाइट के लिए लेखन और संपादन नहीं करता, लेकिन इस विशेष साइट के लिए मैने व्यक्तिगत रूप से यह सब किया। इसमें दर्ज आंकड़े, पत्रकारों पर हुए हमले और उनकी हत्या की कहानियां भयावह हैं, जो आपको प्रभावित करती है। रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ पत्रकार गजाला फसीह के अनुसार, पीपीएफ द्वारा साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि 2002 से अब तक 76 पत्रकारों की हत्या कर दी गई है।

द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार, पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की पूर्व संध्या पर शुरू की गई फ्रीडम नेटवर्क की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान में लगभग दो दर्जन पत्रकारों पर आरोप लगाए गए और उनमें से अधिकांश पर इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया। मीडिया मैटर्स फार डेमोक्रेसी (एमएमएफडी) की रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि देश ने उन सभी संकेतकों में खराब प्रदर्शन किया है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को निर्धारित करते हैं और कोरोना महामारी ने पाकिस्तान में डिजिटल सेंसरशिप को और बढ़ा दिया है।

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