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जल्दबाजी में दिए गए डब्ल्यूएचओ के बयान से दुनिया भर में भारत की छवि हुई खराब – ड्रग कंट्रोलर

भारत के ड्रग कंट्रोलर यानी औषधी महानियंत्रक ने गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के लिए भारत में बनाई गई खांसी की दवाई को जोड़ने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखा है। इस पत्र के द्वारा भारत ने डब्ल्यूएचओ पर भारत की छवि को खराब करने का आरोप लगाया है। इससे पहले, केंद्र सरकार ने संसद में मेडेन फार्मास्युटिकल्स को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि कंपनी के कफ सिरप में कोई कमी नहीं है। सिरप के सैंपल मानक के अनुरूप पाए गए हैं। 

मेडेन फार्मास्युटिकल्स कंपनी को ठहराया गया जिम्मेदार

बता दें, डब्ल्यूएचओ ने कई हफ्ते पहले गाम्बिया में हुई बच्चों की मौत का जिम्मेदार मेडेन फार्मास्युटिकल्स कंपनी को ठहराया था। डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई थी कि कंपनी के कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत हुई है।

‘भारतीय कफ सिरप में कोई कमी नहीं’

भारतीय औषधी महानियंत्रक  डाक्टर वीजी सोमानी की तरफ से विश्व स्वास्थ्य संगठन के विनियमन और पूर्व योग्यता निदेशक डॉ. रोजेरियो गैस्पर को लिखे पत्र में कहा गया है कि भारतीय कफ सिरप में कोई कमी नहीं है। जांच में सिरप पूरी तरह से सही पाई गई है। सिरप को गाम्बिया में बच्चों की मौते जोड़ना पूरी तरह से गलत है।

‘डब्ल्यूएचओ का बयान पूरी तरह से गलत’

वीजी सोमानी ने कहा कि अक्टूबर में डब्ल्यूएचओ की ओर से जो बयान जारी किए गए थे, वे पूरी तरह से गलत और जल्दबाजी में किए गए थे। इस गलत बयान के चलते दुनिया में भारत की गलत छवि बनी। दुनिया भर की मीडिया में भारतीय फार्मा सेक्टर के बारे में गलत जानकारी चली।

जांच के लिए चार सदस्यीस समिति का गठन

पत्र में कहा गया है, ‘भारत में निर्मित दवाओं और गाम्बिया में मौतों के बीच संभावित आकस्मिक संबंध पर डब्ल्यूएचओ से प्राप्त प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद भारत सरकार ने रिपोर्ट के विवरण की जांच और विश्लेषण करने के लिए विषय विशेषज्ञों की एक तकनीकी समिति का गठन किया। विषय विशेषज्ञों की चार सदस्यीय तकनीकी समिति की अध्यक्षता डॉ वाई के गुप्ता, वाइस चेयरपर्सन, दवाओं पर स्थायी राष्ट्रीय समिति ने की। इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी-आईसीएमआर, पुणे, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और सीडीएससीओ के एक्सपर्ट्स सदस्य हैं।’

‘WHO ने अभी तक नहीं दी कोई जानकारी’

पत्र में आगे कहा गया है, ‘इस तकनीकी समिति की कई बार बैठक हो चुकी है। हर बार समिति ने कारणों को स्थापित करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त विवरणों पर डब्ल्यूएचओ से विशिष्ट जानकारी के लिए अनुरोध किया था। WHO को 15 अक्टूबर, 20 अक्टूबर और 29 अक्टूबर, 2022 को संचार भेजा गया था। हर बार WHO ने यह सुनिश्चित किया है कि वे मामले के आकलन को संभालने वाली अपनी टीम के संपर्क में हैं और जल्द से जल्द वापस आ जाएंगे या उनके जमीनी सहयोगी इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक WHO द्वारा सीडीएससीओ के साथ किसी भी जानकारी का आदान-प्रदान नहीं किया गया है।’

मेडेन फार्मास्युटिकल्स कंपनी का किया गया निरीक्षण

वीजी सोमानी ने कहा, ‘भारत यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और निरीक्षण के लिए प्रतिबद्ध है कि दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के गुणवत्ता नियंत्रण में निर्माण के उच्चतम मानकों को बनाए रखा जाए। गाम्बिया में घटनाओं के संबंध में डब्ल्यूएचओ से प्राप्त अलर्ट के बाद संबंधित फर्म मेडेन फार्मास्युटिकल्स के परिसर में एक स्वतंत्र निरीक्षण किया गया।’

कंपनी को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस

सोमानी ने आगे कहा, ‘विभिन्न अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) के उल्लंघन के लिए और मौजूदा नियमों के अनुसार विनिर्माण और परीक्षण के पूर्ण रिकॉर्ड का उत्पादन नहीं करने के लिए भारत के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के प्रावधानों के तहत फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। निरीक्षण के दौरान की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, जनहित में फर्म की निर्माण गतिविधियों को तत्काल बंद कर दिया गया। सीडीएससीओ ने इस संबंध में डब्ल्यूएचओ को पहले ही सूचित कर दिया है।’

‘मानक के अनुरूप पाए गए सभी नमूने’

पत्र में कहा गया है, ‘डब्ल्यूएचओ को सूचित किया गया था कि इन 04 उत्पादों के नमूने मौजूदा नियमों के अनुसार तैयार किए गए थे और सरकारी प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजे गए थे। सरकारी प्रयोगशाला से प्राप्त परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 04 उत्पादों के सभी नियंत्रण नमूने विनिर्देशों के अनुरूप पाए गए हैं। इसके अलावा, इन उत्पादों में डीईजी और ईजी का पता नहीं चला था और परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार उत्पादों को डीईजी या ईजी से दूषित नहीं पाया गया है। ये रिपोर्ट उक्त तकनीकी समिति को उपलब्ध करा दी गई है जो इनकी जांच कर रही है।’

‘भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों को लेकर दुनिया में फैली गलत राय’

पत्र में आगे कहा गया है, ‘अक्टूबर, 2022 में WHO द्वारा जारी किए गए बयान को दुर्भाग्य से वैश्विक मीडिया द्वारा प्रचारित किया गया, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता को लक्षित करते हुए एक नैरेटिव तैयार किया गया। इसने बदले में दुनिया भर में भारत के फार्मास्युटिकल उत्पादों की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, और फार्मास्युटिकल उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।’

‘बच्चों ने नहीं किया था सिरप का सेवन’

पत्र में कहा गया है, ‘मीडिया के अनुसार, गाम्बिया ने सूचित किया है कि खांसी की दवाई के सेवन और मौतों के बीच अभी तक कोई प्रत्यक्ष कारण संबंध स्थापित नहीं हुआ है, और जिन बच्चों की मृत्यु हुई है, उन्होंने इस सिरप का सेवन नहीं किया था। हमें विश्वास है कि WHO अब भारत सरकार द्वारा गठित विषय विशेषज्ञों की तकनीकी समिति को उपलब्ध सभी तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचने की अनुमति देगा। हम WHO के प्रतिनिधियों को इस तकनीकी समिति के साथ बातचीत करने की अनुमति देने पर विचार करने के इच्छुक होंगे।’

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