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खाद्य तेल कंपनियों ने ग्राहकों को दी राहत,एमआरपी में 10-15 प्रतिशत की आई कमी

अदाणी विल्मर और रुचि सोया सहित देश की अग्रणी खाद्य तेल कंपनियों ने ग्राहकों को राहत दी है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसइए) के मुताबिक कंपनियों ने खाद्य तेल ब्रांडों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में 10-15 प्रतिशत की कमी की है। अदाणी विल्मर ने अपने फाच्र्यून ब्रांडों पर रुचि सोया ने महाकोश, सनरिच, रुचि गोल्ड और न्यूट्रिला ब्रांड पर, इमामी ने हेल्दी एंड टेस्टी ब्रांड पर, बूंगी ने डालडा, गगन, चंबल ब्रांड पर और जेमिनी ने फ्रीडम सनफ्लावर आयल ब्रांड की एमआरपी घटाई है। इसके अलावा कुछ अन्य खाद्य तेल ब्रांडों के भी दाम कम किए गए हैं।

बता दें कि कुछ दिनों पहले ग्राहकों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने उद्योग जगत की एक बैठक बुलाई थी और उनसे अनुरोध किया था कि वे आयात शुल्क में कमी की घोषणा के अनुरूप खाद्य तेलों की कीमत में कमी करें। उद्योग संगठन ने कहा कि उसे उम्मीद है कि नया साल अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी के साथ ही घरेलू सरसों की अच्छी फसल खुशखबरी लेकर आएगी।

खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल कई रिफाइंड और कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम किया है। आयात शुल्क में आखिरी कमी 20 दिसंबर को की गई थी। इस समय रिफाइंड पाम तेल पर मूल सीमा शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया था। इतना ही नहीं आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने व्यापारियों को दिसंबर 2022 तक बिना लाइसेंस के रिफाइंड पाम तेल आयात करने की अनुमति भी दी है। इसके अलावा पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कच्चे पाम तेल और कुछ अन्य जिंसों के वायदा कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। एसईए के अनुसार मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए 13-15 मिलियन टन खाद्य तेल आयात किया जाता है।

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