Uttarakhand

उत्‍तराखंंड में नया शिक्षा सत्र शुरू, बिना किताब के पढ़ेंगे छात्र!

New Education Session 2023 शनिवार को जब नया शिक्षा सत्र 2023 शुरू होगा तो फिर से सिस्टम के लचर प्रबंधन का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा। आज से सत्र शुरू होने जा रहा है और पूर्व संध्या पर किताबों की छपाई के लिए विभाग ने कंपनी से एमओयू किया।

 उत्तराखंड में सरकारी शिक्षा व्यवस्था यूं ही बदनाम नहीं है, विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली इसकी कसूरवार है। शनिवार को जब नया शिक्षा सत्र 2023 शुरू होगा तो फिर से सिस्टम के लचर प्रबंधन का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा। उन्हें बिना किताब के ही अपनी नई कक्षा की शुरुआत करनी पड़ेगी।

इसे हद की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि आज से सत्र शुरू होने जा रहा है और पूर्व संध्या पर किताबों की छपाई के लिए विभाग ने कंपनी से एमओयू किया। ऐसे में कब किताबें छपकर छात्रों के हाथों में पहुंचेगी अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।

आज नई शिक्षा नीति का सूबे में जोरशोर से प्रचार हो रहा है लेकिन पुरानी सिलेबस की पुस्तकें समय पर छापने में विभाग की स्थिति उसकी तैयारियों की पोल खोल रही है। शिक्षा विभाग सुधार के लाख दावे करे, लेकिन उसकी सुस्त व्यवस्था व पुराने ढर्रे में कोई बड़ा परिवर्तन आता नहीं दिख रहा है।

शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विभाग के आलाधिकारियों के साथ समय-समय पर कई बार समीक्षा बैठक में सरकारी और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के पहली कक्षा से 12वीं तक के विद्यार्थियों को दी जाने वाली निश्शुल्क पुस्तकों की समय पर छपाई और स्कूल तक पहुंचाने के लिए निर्देशित किया।

इसकी जिम्मेदारी भी सौंपने को कहा, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि किताबों की छपाई करने वाली कंपनी के साथ एमओयू के आवश्यक दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं। एमओयू की बाकी औपचारिकताएं शनिवार को पूरी कर दी जाएंगी। पहले चरण में पहली कक्षा से आठवीं तक की पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी। इसके बाद जैसे-जैसे छपाई पूरी होती जाएगी वैसे-वैसे पुस्तकों का वितरण स्कूलों में शुरू कर दिया जाएगा।

6.5 लाख छात्र-छात्राओं को दी जानी हैं किताबें

पहली से 12वीं कक्षा तक के करीब छह लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को केंद्र सरकार की मदद से हर वर्ष निश्शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं। इस वर्ष से सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के आठवीं से 12वीं तक के 6, 49,117 छात्र-छात्राओं को भी यह पुस्तकें दी जाएंगी। पहले केवल पहली कक्षा से सातवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को यह पुस्तकें दी जाती थीं।

पिछले वर्षों में भी किताबें समय पर नहीं मिली

पिछले वर्ष जब जुलाई-अगस्त तक भी दूर दराज के विद्यालयों में निश्शुल्क पुस्तकें नहीं पहुंची तो शिक्षा महानिदेशक बंधीधर तिवारी ने खुद अपना और शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों के वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिए थे। आदेश में कहा गया कि जब तक स्कूलों में किताबें नहीं पहुंचती वह खुद भी और इससे जुड़े अधिकारियों का वेतन जारी नहीं करने देंगे। शिक्षा महानिदेशक की इस सख्ती के बाद सितंबर महीने तक सभी स्कूलों में किताबें पहुंच पाई थी।

राज्य में स्कूल व छात्रों की स्थिति

  • प्राथमिक विद्यालय : 15517
  • छात्र : 3, 51,977
  • राजकीय उच्च माध्यमिक और हाईस्कूल : 5753
  • राजकीय इंटर कालेज :1406
  • नौंवी से 12वीं तक छात्र : 1,73,230
  • सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय : 614
  • छात्र : 1,24,110

पहली बार सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी निश्शुल्क पुस्तकें दी जाएंगी। सरकारी विद्यालयों के पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को पहले से ही यह व्यवस्था रही है। सरकारी और निजी स्कूलों के साढ़े छह लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें समय पर उपलब्ध कराने लिए विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया। निश्शुल्क पुस्तकें के लिए विभाग की ओर से टेंडर हो चुकें हैं। संबंधित कंपनी के साथ विभागीय अधिकारियों की एमओयू भी हो चुका है। जल्द से जल्द स्कूलों में छात्र-छात्राओं को निश्शुल्क पुस्तकें दी जाएंगी। एक महीने से पहले पुस्तकें उपलब्ध कराने को निर्देशित किया गया है।

 डा. धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री उत्तराखंड

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