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International Women’s Day: एक्सपर्ट से जानें स्त्री के लिए सेहत संबंधी चुनौतियां और उपाय

नई दिल्ली, International Women’s Day: स्त्री के सामने उम्र के हर पड़ाव पर सेहत संबंधी जो भी चुनौती आती हैं, वह पुरुषों से बिल्कुल अलग होती है। उसे अपना खयाल भी उसी हिसाब से रखना है। मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव, रजोनिवृत्ति ये चार हिस्से हैं, जिनके इर्द-गिर्द महिलाओं को सेहत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है कि किशोर उम्र से लड़कियों की सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल, यही वह समय है जब लड़कियां एक स्वस्थ स्त्री बनने की तरफ कदम बढ़ा रही होती हैं। वे इस उम्र में सेहतमंद रहेंगी तो ही आगे भी स्वस्थ रहेंगी। चलिए जानते हैं कि नानावती मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल, मुंबई की ओबेस्टेटि्क्स ऐंड गायनेकोलाजी की सीनियर कंसल्टेंट, डा. गायत्री देशपांडे क्या कहती हैं। 

शारीरिक सक्रियता कई मुश्किलों का हल          

आज की जीवनशैली के कारण वजन बढ़ने की समस्या उम्र के हर पड़ाव पर मुंह बाए खड़ी रहती है। यह अनेक बीमारियों का कारण बनती है। कालेज जाने वाली लड़कियां, कामकाजी महिलाएं ही नहीं, किशोर उम्र की लड़कियां भी यह चुनौती झेल रही हैं। एक अन्य चुनौती है शहरी क्षेत्रों में पोषण का स्तर अच्छा होने से लड़कियों की माहवारी समयपूर्व यानी छोटी उम्र में होना। इससे घबराएं नहीं। बच्ची को भागदौड़ वाले खेलों के लिए प्रोत्साहित करें। खानपान में जंक फूड को कम करने का भरसक प्रयास करें। उसका वजन न बढ़ने दें। जल्दी माहवारी से लड़कियों में हाइट बढ़ने की समस्या हो सकती है। बिटिया शारीरिक रूप से सक्रिय रहे, तो ऐसी समस्याओं से दूर हो सकती है। आगे चलकर उसकी दवा पर निर्भरता भी कम हो सकती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

– लड़कियों को शुरू से बेहतर स्वास्थ्य व साफ-सफाई को लेकर जागरूक रखें।

– माहवारी में आर्गेनिक पैड से संक्रमण की आशंका कम हो जाती है।

-प्रसव के समय सक्रियता से ज्यादा बेहतर होगा कि आप प्रसव पूर्व विस्तृत योजना बनाएं। चिकित्सक के परामर्श से प्राप्त जानकारी पर अमल करें।

-प्रसव बाद होने वाले अवसाद को लेकर सजग बनें।

-मेनोपाज 45 वर्ष की उम्र से पहले आता है तो यह प्री मैच्योर मेनोपाज है। यह अधिक चुनौतीपूर्ण होता है, इसे अनदेखा न करें।

-बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों, मांसपेशियों से जुड़ी समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए हर पांच साल में बोन डेंसिटी स्कैन कराएं।

-बोन डेंसिटी स्कैन को डेक्सा स्कैन के रूप में भी जाना जाता है। यह एक एक्स-रे डायग्नोस्टिक टेस्ट है जिससे हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिजों की मात्रा का पता लगाया जाता है।

-विटामिन डी कम है तो इसके अनेक कारण हो सकते हैं। मल्टीपल प्रेग्नेंसी के कारण यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में आम है।

-शहरी क्षेत्रों में निष्क्रिय जीवनशैली और धूप के कम सेवन से महिलाओं में विटामिन डी कम हो सकता है।

-हर उम्र और वर्ग की स्त्री नियमित योग और व्यायाम पर ध्यान दे तो वह सेहत संबंधी चुनौतियों का काफी हद तक मुकाबला कर सकती है।

गलत खानपान यानी बीमारियों को आमंत्रण

-थकावट, कमजोरी, अशक्तता के साथ-साथ जीवनशैली संबंधी बीमारियां परेशान कर रही हैं तो इसका कारण गलत खानपान भी हो सकता है। यह सुनिश्चित करें कि नियमित खानपान में बासी और डिब्बाबंद खाने का समावेश कम से कम हो।

-सुबह का नाश्ता पौष्टिक तत्वों से भरपूर होना चाहिए।

-मुख्य खाद्य पदार्थ तथा सहायक खाद्य पदार्थों के समिश्रण (अन्न व दालों) जैसे कि इडली, खिचड़ी आदि ज्यादा पौष्टिक होते हैं।

-भोजन में अंकुरित दाल को पर्याप्त मात्रा में शामिल करना चाहिए।

– आपकी थाली में प्रोटीन के साथ विटामिन युक्त पोषण जैसे ताजी फल-सब्जियां हों।

-लौह तत्वों के साथ फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयोडिन व विटामिन ए का उचित समावेश होना चाहिए।

सर्वाइकल वैक्सीन लेना जरूरी

सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन दस वर्ष पूर्व से उपलब्ध है लेकिन इसे लेकर जागरूकता आज भी बहुत कम है। सर्वाइकल कैंसर से स्त्रियों की मौत इसका परिणाम है। इस कैंसर से बचाव का टीका लग जाए तो इस घातक बीमारी से बचाव संभव है। यह तीन खुराग वाला टीका होता है। लड़कियों को शादी से पूर्व लग जाए तो बेहतर रहता है। आप अपने पास के चिकित्सा केंद्र से पता करके यह टीका ले सकते हैं।

 

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