कई प्रदेशों से आए विशेषज्ञों ने साझा किया अनुभव, कहा—यूपी मेंकृषि और ग्रामीण पर्यटन की असीम संभावनाएं
लखनऊ: 16 मई, 2024
उत्तर प्रदेश पर्यटन की ओर से 16 मई को विश्व कृषि पर्यटन दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। लखनऊ के गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया। कार्यशाला में कृषि और ग्रामीण पर्यटन से जुड़े हित धारक और विशेषज्ञों ने अनुभव साझा किया। उत्तर प्रदेश में इस क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं। सरकार पहल कर रही है, लोगों को भी आगे आना चाहिए।
बतौर मुख्य अतिथि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव (नियुक्ति और कार्मिक विभाग, कृषि, कृषि शिक्षा और अनुसंधान विभाग एवं कृषि विपणन कृषि, विदेश व्यापार और निर्यात संवर्धन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है। यहां कृषि और ग्रामीण पर्यटन में असीमित अवसर हैं। किसानों की आय बढ़ाने में इस क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
एस.सी.एस. कृषि और ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए तीन बिंदु सुझाए। उन्होने कहा कि पहला—गांवों में चार—पांच दिन या इससे ज्यादा ठहरने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिये। इससे लाभ यह होगा कि जो आर्थिक रूप से संपन्न लोग हैं वह भ्रमण व ठहरने के लिए आकर्षित होंगे। इस वर्ग के गांवों में रुख करने से किसानों की आय में अच्छी वृद्धि होगी। दूसरा—पर्यटन विभाग को शिक्षा विभाग से वार्ता कर छात्र—छात्राओं के गांवों में भ्रमण की व्यवस्था बनानी चाहिए। इससे बड़ा लाभ यह होगा कि जो विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से दूर हो चुके हैं उन्हें ग्रामीण जीवन और वहां की खूबियों का व्यावहारिक ज्ञान होगा। इससे उनका सोचने—समझने का दृष्टिकोण बदलेगा, साथ ही ग्रामीणों की आय बढ़ेगी।
उन्होने कहा कि अयोध्या, प्रयागराज, मथुरा, आगरा समेत जो अन्य पर्यटन स्थल हैं वहां बड़ी संख्या में पर्यटक जाते हैं। यदि रास्ते में कृषि और ग्रामीण पर्यटन स्थल उपलब्ध हों तो लोग निश्चित रूप से पर्यटन न केवल जाएंगे बल्कि ठहरेंगे भी। यदि पर्यटक गांवों में जाएंगे तो जो लोग प्रत्यक्ष रूप से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े हैं उनको तो रोजगार मिलेगा ही साथ में स्थानीय उत्पाद तैयार करने वालों की आय भी बढ़ेगी। ग्रामीणों के सामने रोजगार का द्वार खुलेगा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग भी मानता है कि पर्यटन क्षेत्र में अधिक रोजगार हैं। इसमें जितना निवेश करेंगे उसका अच्छा रिटर्न मिलता है।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि हमारा हिंदुस्तान गांवों में बसता है। शुद्ध हवा—जल गांवों में ही मिलता है। गांवों में पहुंचते ही अनेक बीमारियां गायब हो जाती है। वर्तमान समय में कृषि और ग्रामीण पर्यटन में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। क्योंकि शहरों में रहने वाले लोग गांवों में घूमना पसंद करते हैं। वह वहां की जीवनशैली देखना चाहते हैं । शहरों में रहने वाली नई पीढ़ी को खेती किसानी को केवल किताबों में ही पढ़ रहे हैं। जमीनी हकीकत देखने के लिए गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। पर्यटन विभाग प्रदेश में कृषि पर्यटन और ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रहा है। इसमें लोग खुद भी आगे आएं।
विशेष सचिव, गृह योगेश कुमार ने कहा कि पर्यटन हमें बताता है कि छुट्टियां बिताने के लिए नहीं, बल्कि घूमने समझने और सीखने के लिए होती हैं। बच्चों को छुट्टियों के दिनों में घुमाना चाहिए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा अपनी संस्कृति से जुड़े और सीखें। इससे उनका सर्वांगीण विकास होगा। उनको कहा कि पर्यटन में वृद्धि के लिए जरूरी है कि हम पर्यटकों की वस्तुस्थिति से भी परिचित हों। इस दौरान अपने मनरेगा के लंबे अनुभवों को भी साझा किया।
विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने कहा कि ग्रामीण पर्यटन विकास के लिए राज्य के 75 जिलों, 18 मंडलों में से 229 गांवों को चयनित किया गया है। यहां ठहरने की व्यवस्था स्थानीय समुदाय द्वारा होमस्टे के रूप में प्रदान की जाएगी। प्रदेश के गांवों में पर्यटकों हेतु बहुत से आकर्षण जैसे कि विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों, वन्य जीव पर्यटन, सांस्कृतिक, पौराणिक रोमांचक गतिविधियां आदि शामिल हैं। इन चयनित गांवों को पर्यटन गांवों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो स्थानीय भ्रमण, स्थानीय व्यंजन, लोक गीत-नृत्य, स्थानीय सांस्कृतिक एवं परंपराओं का अनुभव प्रदान करेंगे। इसमें गांव का मनोरम दृश्य, ट्रैकिंग, मिट्टी के बर्तन बनाना, साइकिल चलाना जैसी गतिविधियाँ आगंतुकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इन गावों में आगंतुकों को एक आरामदायक ग्रामीण सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करना है।
इस अवसर पर मनीषा पांडे, संस्थापक निदेशक, विलेज वेस ट्रेवल, अल्मोड़ा ने समुदाय आधारित पर्यटन—अवधारणा और संभावनाएं पर अपना विचार व्यक्त किया। हिमाचल से आए नॉट ऑन मैप के संस्थापक कुमार अनुभव ने होमस्टे एवं सांस्कृति विरासत—होम स्टे की बढ़ती मांग और एंव अनुभवों का आदान पर चर्चा की। बकरी छाप एग्रो टूरिज्म के रूपेश राय ने हाइपर लोकल अनुभव और स्टोरी टेलिंग के माध्यम से ग्रामीण स्थलों को विकसित करना और जीएचई लेह के पारस लूम्बा ने ग्रामीण स्थलों का विकास एवं होम स्टे को प्रभावशाली आवासी माध्यम के रूप में विकसित करने पर विचार रखा। विलो टेल द्यअल्मोड़ा के सौमेन करमाकर ने कृषि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग और लाभ, बैक टू विलेज भुवनेश्वर के मनीष कुमार ग्रामीण पर्यटन के विकास हेतु सामुदायिक सहभागिता और निर्णय लेने का महत्व पर चर्चा की।
इसी क्रम में बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम शरण वर्मा ने सहकारी खेती में उत्पादकता, परामर्श और रोजगार को एकीकृत करना एवं कृषि को बढ़ावा देने पर चर्चा की। साथ ही बांदा से आए प्रेम सिंह ने प्रदेश में कृषि पर्यटन की संभावनाओं पर चर्चा की। गुलमोहर इको विलेज के दीपक गुप्ता, पर्फ्यूम टूरिज़म के प्रणव कपूर और माइ माम्स विलेज के शैलेंद्र सिंह, कन्नोज से आए दिव्य उदित नारायण सिंह, मेला कोठी आगरा से आए आरपी सिंह सहित कई अन्य विशेषज्ञ इस परिचर्चा में अपने अनुभव साझा किए और विचार रखे। पर्यटन विभाग की तरफ से कृषि-ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रयास करने वाले कुछ चयनित लोगों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘प्रशंस प्रमाणपत्र’ देकर सम्मानित किया जायेगा।
इस अवसर पर श्री कृपाल सिंह, बगान ऑर्चर्ड रिट्रीट, बुलन्दशहर, श्री सुरज शुक्ला अर्थ होम, दुधवा
श्री अनिरुद्ध ओएल नेचर रिट्रीट, लखीमपुरखीरी, श्री अहमद फ़ैज़ एम कोको फार्म, लखनऊ, श्री शैलेन्द्र सिंह माई मॉम्स विलेज, बस्ती, श्री अब्बास जाफरी विंटेज विलेज रिज़ॉर्ट, सीतापुर, श्री आर.पी. सिंह मेला कोठी, चंबल सफारी लॉज, आगरा, श्री प्रणव कपूर परफ्यूम टूरिज्म,कन्नौज, श्री दिव्यउदित नारायण सिंह आनंद भवन पैलेस, कन्नौज, श्री दीपक गुप्ता गुलमोहर इको रिसॉर्ट, बांदा, तथाइसके साथ ही बेस्ट टूरिज्म विलेज- 2023 के विजेता वाराणसी के कुरौना रामेश्वरम गांव के प्रतिनिधि को सम्मानित किया गया।
इस कार्यशाला में पर्यटन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री रवि रंजन, निदेशक पर्यटन प्रखर मिश्रा, उपनिदेशक डा कल्याण सिंह, उपनिदेशक दिनेश कुमार, उपनिदेशक वीरेश कुमार सहित अन्य अधिकारी गण मौजूद रहे।
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पत्र सूचना शाखा
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश मे सहकारिता आन्दोलन को ग्रामस्तर तक पहुचंाने मंे सराहनीय योगदान के लिए सहकारिता मंत्री को 30 मई को इफ्को द्वारा किया जायेगा सम्मानित
सम्मान के रूप मंे सहकारिता रत्न पुरस्कार एवं 11 लाख रूपये की धनराशि प्रदान की जायेगी
लखनऊः-16 मई, 2024
उत्तर प्रदेश में सहकारिता आन्दोलन को जन-जन तक पहुचाने,ििप्रदेश की कमजोर जिला सहकारी बैंकों को फिर से पुनर्जीवित करने तथा मात्र एक माह में 30 लाख कृषकों को पैक्स का सदस्य बनवाने में मा0 सहकारिता मंत्री श्री जे0पी0एस0 राठौर के अतुल्यनीय योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 2022-23 के लिए ‘‘सहकारिता रत्न पुरस्कार‘‘ से सम्मानित किये जाने का निर्णय इफको द्वारा लिया गया है।
इस आशय की जानकारी देते हुए इफको के प्रबन्ध निदेशक श्री उदय शंकर अवस्थी द्वारा बताया गया कि इफको के निदेशक मण्डल द्वारा भारत के सहकारिता आन्दोलन को विकसित करने एवं उसे मजबूत कराने में श्री जे0पी0एस0 राठौर, मा0 सहकारिता मंत्री जी के अनन्य योगदान के दृष्टिगत राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाने वाला सहकारिता रत्न पुरस्कार दिया जायेगा। उन्होनें यह भी बताया कि यह पुरस्कार सहकारिता आन्दोलन को, विशेषकर आम-जन से जोड़कर ग्रामीण क्षेत्र के कृषकों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सहकारिता बन्धुओं को सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया है। इस पुरस्कार में रू0 11.00 लाख की नगद धनराशि एवं एक प्रशस्ति-पत्र मा0 सहकारिता मंत्री जी को प्रदान किया जायेगा।
राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता रत्न पुरस्कार उत्तर प्रदेश के मा0 सहकारिता मंत्री को दिया जाना पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। उक्त पुरस्कार दिनांक
30.05.2024 को एन0सी0यू0आई0, आडिटोरियम, नई दिल्ली में एक भव्य समारोह में मा0 सहकारिता मंत्री जी को प्रदान किया जायेगा।
सम्पर्क सूत्र- संजय कुमार
अवनीश श्रीवास्तव/05ः30च्ड
फोन नम्बर क्पतमबज रू 0522-2239023 ई0पी0बी0एक्स0: 0522-2239132,33,34,35 एक्सटेंशन रू 223 224 225
फैक्स नं0 रू 0522-2237230 0522-2239586 ई-मेल रू नचेववबीदं/हउंपसण्बवउ
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