भाजपा व सपा की हारजीत को लेकर हुई बहस में बचपन का दोस्त बना कातिल, पढ़े पूरी खबर
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UP Vidhansabha Chunav 2022 : चुनाव कौन जीतेगा और कौन हारेगा भले ही तय हाेने में अभी इंतजार है। प्रत्याशियाें का भाग्य ईवीएम में बंद है, लेकिन गली-मुहल्लों में चल रही हार-जीत पर बहसबाजी जानलेवा होने लगी है। इसी बहस में शनिवार रात बचपन का जिगरी दोस्त तैश में आकर कातिल बन गया। रात में बहस के दौरान कुछ और भी युवक थे, लेकिन अब कोई ढूंढे नहीं मिल रहा है।
सदर कोतवाली क्षेत्र क्षेत्र के कबूलपुरा के शारिक और खालिद बचपन के जिगरी दोस्त थे। बताते हैं कि वर्षों पुरानी दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों दिन में जब तक एक दूसरे से मिल नहीं लेते थे, तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता था। शनिवार की रात भी दोनों की मुलाकात हुई, लेकिन होनी को शायद कुछ और ही मंजूर था। किसी को क्या पता था कि दोनों जिगरी दोस्त एक दिन एक दूसरे की जान के दुश्मन बन जाएंगे और वह भी राजनीति के चक्कर में। बताया जाता है कि गोली मारने वाला खालिद भाजपा समर्थक है जबकि मृतक शारिक सपा समर्थक था। शनिवार रात दोनों के बीच भाजपा व सपा प्रत्याशियों की हारजीत को लेकर बहस होने लगी।
बहस के चलते दोनों के बीच गाली-गलौज होने लगी और खालिद ने तमंचे से शारिक को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। मुहल्ले की रहने वाली एक महिला का कहना है कि शारिक उसका मुंहबोला भाई था। जो उसके घर आता जाता था। खालिद व शारिक के बीच भाजपा व सपा की हारजीत को लेकर बहस होती रहती थी। इसी बहसबाजी में तैश में आकर खालिद ने शारिक को मौत के घाट उतार दिया। बताया जाता है कि मृतक शारिक तीन भाईयों में बीच का था। बड़ा भाई शानू मेहनत मजदूरी करता है, जबकि छोटा भाई मन्नू छोटे सरकार की दरगाह पर चाय का होटल चलाता है। शारिक डिश केबिल का काम करता था। वह भी छोटे सरकार पर चाय का होटल खोलने की तैयारी कर रहा था।
शारिक सपा तो खालिद भाजपा समर्थक
स्वजन की बात और इंटरनेट मीडिया पर मिले साक्ष्यों से यह बात साफ हो गई है कि मृतक शारिक सपा समर्थक था, जबकि हत्या करने वाला खालिद सिद्दीकी भाजपा कार्यकर्ता है। इंटरनेट मीडिया पर पड़े उसके पोस्ट में फोटो के नीचे भाजपा कार्यकर्ता लिखा है। बताते हैं कि दोनों के बीच पहले भी राजनीतिक चर्चा होती रहती थी।
शारिक के बेटे की नाले में गिरकर हो गई थी मौत
वर्ष 2016 में शारिक के तीन वर्षीय बेटे की नाले में गिरकर मौत हो चुकी है। कई दिन बाद पुलिस उसका शव बरामद कर सकी थी। घटना से आक्रोशित लोगों ने लालपुल पुलिस चौकी के सामने जाम लगाकर हाईवे जाम कर दिया था। इस मामले को कुछ राजनीतिज्ञों ने राजनीतिक रंग देने का भी प्रयास किया गया था, लेकिन पुलिस की सूझबूझ से मामले का पटाक्षेप हो गया था।
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