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भारत-चीन सीमा विवाद: स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ा भारत

भारत ने एक बार फिर चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर अपनी गंभीरता जताते हुए एक “स्थायी समाधान” की वकालत की है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को यह मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया।

उन्होंने चीन से स्पष्ट शब्दों में कहा कि लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध को अब एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में ले जाया जाना चाहिए। इसके लिए भारत ने एक व्यवस्थित और सम्मानजनक रोडमैप की आवश्यकता जताई है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “हम अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं, लेकिन सीमाओं पर शांति और स्थिरता बनाए रखना आपसी संबंधों की नींव है। जब तक सीमाएं शांत नहीं रहेंगी, आपसी विश्वास भी नहीं बन पाएगा।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प को पांच साल हो चुके हैं। इस झड़प में भारत के 20 और चीन के अनुमानित 4 सैनिक मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर भारी सैन्य तैनाती कर दी थी और तब से अब तक कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है।

हालांकि कुछ इलाकों से सेनाएं पीछे हटी हैं, लेकिन देपसांग और डेमचोक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तनाव अब भी बरकरार है। भारत का रुख स्पष्ट है कि यथास्थिति बहाल किए बिना सामान्य संबंध संभव नहीं

विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने SCO जैसे बहुपक्षीय मंच से चीन को यह संदेश दिया है कि अब “स्थायी समाधान” के लिए निर्णायक कदम जरूरी हैं। भारत की रणनीति यह भी दर्शाती है कि वह द्विपक्षीय वार्ता के साथ-साथ बहुपक्षीय दबाव बनाने की रणनीति भी अपना रहा है।हालांकि चीन की ओर से इस बैठक में इस मुद्दे पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी गई, लेकिन माना जा रहा है कि भारतीय रुख को हल्के में नहीं लिया जाएगा।स्ट्रैटजिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी कहते हैं, “भारत अब केवल सैन्य या कूटनीतिक स्तर पर बात नहीं करना चाहता, वह रणनीतिक रूप से ऐसा समाधान चाहता है जो स्थायी हो, न कि सिर्फ अस्थायी समझौता।भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब सीमा विवाद को लंबे समय तक लटकते नहीं देखना चाहता। एक शांतिपूर्ण, सम्मानजनक और स्थायी समाधान दोनों देशों के हित में है, और इस दिशा में दबाव बनाने की कूटनीतिक रणनीति तेज कर दी गई है

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