क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े अपराधों में हो रही तेजी से बढ़ोतरी, जाने कैसे इंटरनेट और कंप्यूटर्स के जरिये अपराधी कहीं भी लगा रहें सेंध
Cryptocurrency (Bitcoin, Ethereum आदि) नये तरह के अपराधों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े अपराधों की बात करें तो साल 2021 में यह शीर्ष पर रहा है। ब्लॉकचेन एनालिसिस फर्म Chainalysis की रिपोर्ट कहती है कि अवैध पते (Illegal Addresses) पर 14 बिलियन डॉलर की डिजिटल करेंसी डिलिवर हुई जो 2020 के 7.8 बिलियन डॉलर के मुकाबले 79 प्रतिशत अधिक है। अवैध पते या Illegal Addresses वास्तव में ऐसे डिजिटल वॉलेट हैं जिनका इस्तेमाल चुराई गई क्रिप्टोकरेंसी को रखने के लिए किया जाता है। इन्हीं अवैध पते वाले वॉलेट के जरिए क्रिप्टो की दुनिया में तमाम तरह की आपराधिक गतिविधियों जैसे रैनसमवेयर, पोंजी स्कीम्स और घोटालों को अंजाम दिया जाता है।
Chainalysis की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में अपराधियों ने 8.6 बिलियन डॉलर की लॉन्ड्रिंग की। वहीं, 2020 में इसका मूल्य 6.6 अरब डॉलर था। 2017 से 2021 के बीच 2019 में क्रिप्टोकरेंसी के जरिए सबसे अधिक 10.9 बिलियन डॉलर की लॉन्ड्रिंग की गई।
इंटरनेट और कंप्यूटर्स के जरिये अपराधी कहीं भी लगा सकते हैं सेंध
कंप्यूटर और नेटवर्किंग की दुनिया की दुनिया में साइबर अपराधी कहीं भी पहुंच सकते हैं और कंपनियों, स्टोर्स के अलावा हमारे और आपके डेटा में सेंध लगा सकते हैं। Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी, कंप्यूटर्स और नेटवर्क पर ही आधारित हैं और अपराधियों के बीच यह भुगतान करने का एक खतरनाक जरिया बनता जा रहा है। क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान में पहचान गुप्त रहती है।
क्रिप्टोकरेंसी की चोरी में DeFi प्लैटफॉर्म्स की भूमिका
Chainalysis की रिपोर्ट के अनुसार, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi), जो पारंपरिक बैंकिंग से बाहर क्रिप्टो से संबंधित कर्ज की सुविधा देता है, क्रिप्टोकरेंसी की चोरी और इससे जुड़े घोटालों का एक बड़ा कारक रहा है। 2020 में DeFi प्लैटफॉर्म्स के जरिये 162 मिलियन डॉलर के क्रिप्टोकरेंसी की चोरी हुई। 2020 में कुल चोरी हुई क्रिप्टोकरेंसी का यह 31 प्रतिशत था। 2021 में इस प्रकार चोरी हुई क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य 2.3 बिलियन डॉलर रहा और इसमें 1,330 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े अपराधों पर सरकार की नजर
इस साल मार्च में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि केंद्र सरकार की नजर उन साइबर अपराधियों पर है जो डिजिटल एसेंट्स का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कर रहे हैं। उन्होंने संसद में कहा था कि लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है कि साइबर अपराधी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) ऐसे ही 7 मामलों की जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2022 PMLA) के तहत कर रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि फिनटेक रेवोल्यूशन के बीच Cryptocurrency से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम है मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक की फाइनेंसिंग। भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक का रुख क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हमेशा ही सख्त रहा है।
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