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इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्राओं और गोपाल ने मिलकर बनाई पानी से चलने वाली ट्रेन

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क्रांतिकारी कदम, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मिल सकती है नई गति

बरेली, 30 अप्रैल 2025:
इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज, बरेली की तीन छात्राएं — लाएबा, काशिफा और यास्मीन — तथा कॉलेज कैंटीन संचालक के पुत्र गोपाल ने मिलकर एक अनोखी उपलब्धि हासिल की है। पांच वर्षों की अथक मेहनत और शोध के बाद इन युवा नवप्रवर्तकों ने पानी से चलने वाली एक लघु ट्रेन का निर्माण किया है, जिसे “इंडियन वाटर ट्रेन (IWT)” नाम दिया गया है।

30 अप्रैल को इस मॉडल ट्रेन का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया, जिसमें मात्र 250 मिलीलीटर पानी की मदद से यह ट्रेन 50 मीटर की दूरी तय करने में सक्षम रही। यह मॉडल भारतीय लोकोमोटिव का एक छोटा संस्करण है, लेकिन इसके पीछे की तकनीक यदि बड़े स्तर पर लागू हो जाए, तो भारतीय रेलवे के लिए यह तकनीकी क्रांति बन सकती है।

परियोजना के प्रमुख नवप्रवर्तक गोपाल, जो B.Sc. स्नातक हैं और UPSC परीक्षा भी दे चुके हैं, ने कहा, “नौकरी करना अंतिम लक्ष्य नहीं है, हम खुद कुछ नया करना चाहते हैं जिससे देश को नई दिशा मिल सके। हमारा सपना है कि भारत आत्मनिर्भर बने और तकनीकी रूप से भी अग्रणी हो।”

टीम का यह भी दावा है कि भविष्य में वे रेलवे के बड़े इंजनों जैसे WAP-1 और WAP-2 को भी इसी तकनीक से संचालित कर सकते हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो इससे भारत सरकार को ईंधन पर हर साल लगभग 8,000 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। यह बचत रेल यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं और कम किराया सुनिश्चित कर सकती है।

IWT परियोजना के पेटेंट की प्रक्रिया जारी है, और पेटेंट मिलते ही टीम बड़े पैमाने पर अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने की तैयारी में है।

यह नवाचार न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को भी मजबूती देने वाला उदाहरण बन सकता है।

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