श्वेता सहरावत को देखकर कोच ने कहा था- ये कुछ बड़ा करेगी
‘म्हारी छोरियाँ छोरों से कम हैं के!’
आमिर ख़ान की फ़िल्म दंगल के इस डायलॉग के मायने तब और बढ़ जाते हैं, जब भारत की कोई बेटी खेल के मैदान पर बाज़ी मार कर आती है.
दिल्ली की श्वेता सहरावत ने ऐसी ही बाज़ी मार कर अपनी माँ को इसी अहसास से भर दिया है.
पहले बात श्वेता सहरावत की कामयाबी की.
दक्षिण अफ़्रीका में आईसीसी अंडर-19 महिला विश्व कप का ख़िताब जीतने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा रही हैं सलामी बल्लेबाज़ श्वेता सहरावत.
दाहिने हाथ की बल्लेबाज़ श्वेता ने पूरे विश्व कप में सात मैच खेले, जिसमें उन्होंने 99 की औसत से 297 रन बनाए.
इस दौरान उन्होंने तीन अर्धशतक लगाए.
उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 92 रहा.
पचास चौके और दो छक्के
श्वेता ने पूरे टूर्नामेंट में 50 चौके और दो छक्के भी लगाए.
बेटी के करिश्माई प्रदर्शन पर पिता संजय और माँ सीमा सहरावत की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं.
संजय के दफ़्तर के लोग और दोस्त जो उनकी बेटी के क्रिकेट खेलने की बातों को अनसुना कर देते थे, आज वो सभी बधाई संदेश भेज रहे हैं.
संजय और सीमा की बड़ी बेटी स्वाति भी क्रिकेट खेला करती थीं, लेकिन पढ़ाई की वजह से वो इसे बरकरार नहीं रख पाईं.
श्वेता की जर्सी दिखाती हुईं उनकी माँ
संजय बचपन में जब स्वाति को क्रिकेट अकेडमी ले जाया करते थे, तो श्वेता भी साथ जाया करती थीं.
धीरे धीरे वो भी इसमें दिलचस्पी लेने लगीं. तब सात साल की श्वेता की ज़िद पर उन्होंने उसे भी अकेडमी में डाल दिया था.
संजय बताते हैं, “पहले तो मुझे डर था कि कहीं उसे तेज़ गेंद से चोट ना लग जाए, लेकिन जब उसने मुझे शॉट खेलकर दिखाया तो मैं हैरान था. अकेडमी में उसके कोच ने भी शुरुआती दिनों में ही मुझसे कहा था कि इस बच्ची में कुछ करंट है, ये कुछ बड़ा करेगी.”
लड़कों के साथ खेल कर सीखा
ये पूछने पर कि लड़की होने की वजह से श्वेता को क्रिकेट खेलने में किसी परेशानी का सामना करना पड़ा, उनके पिता संजय बड़े उत्साह से बताते हैं, “क्रिकेट अकेडमी में श्वेता को लड़कियों ने कम और लड़कों ने ज़्यादा गेंदें डाली हैं. श्वेता को लड़की होने की वजह से क्रिकेट खेलने में कभी परेशानी नहीं हुई, बल्कि उनकी अकेडमी के लड़के उनका गेम देखना काफ़ी एंज्वॉय करते थे. वो ख़ुद आकर उसे बॉल डाला करते थे.”
श्वेता की बड़ी बहन स्वाति अब क्रिकेट तो नहीं खेलती हैं, लेकिन क्रिकेट से अपने प्यार को वो बहन के ज़रिए महसूस कर खुश हैं.
स्वाति ने भी पूरा विश्व कप बड़ी बेचैनी के साथ देखा. उन्हें उम्मीद थी कि छोटी बहन ने कप जीतने का वादा किया है, तो पूरा ज़रूर करेगी.
स्वाति बताती हैं, “पिछले 3-4 दिन कैसे निकले पता ही नहीं चला. अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि टीम जीत गई है. उसे टीवी पर खेलते देखना ही हमारे लिए गर्व की बात है. मैंने ख़ुद अपने दोस्तों और दफ़्तर के साथियों से उसका मैच देखने को कहा. मेरे लिए ये बड़ी बात है.”
महिला अंडर-19 का ये पहला टी-20 विश्व कप था.
आईसीसी पहले इस टूर्नामेंट को 2021 में आयोजित करना चाहती थी, लेकिन कोविड की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा.
स्वाति कहती हैं कि यंग लड़कियों को अपना टैलेंट दिखाने के लिए अब एक और प्लेटफ़ॉर्म मिल गया है.
घर का बना खाना है पसंद
उन्होंने कहा, “पहले लड़कियाँ रणजी और सीनियर टीम के लिए खेला करती थीं. लेकिन अंडर-19 विश्व कप ने नए दरवाज़े खोल दिए हैं और इन लड़कियों की जीत से इसे एक बढ़िया पुश मिलेगा. वीमेन क्रिकेट का ग्रॉफ़ अब तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है.”
वहीं श्वेता की माँ सीमा सहरावत को इंतज़ार है बेटी के घर लौटने का.
श्वेता को घर का खाना ही पसंद आता है, तो माँ ने उनके पसंदीदा हरा साग और चूरमा बनाने की तैयारियाँ करके रखी हैं.
ये साल भारतीय महिला क्रिकेट के लिहाज़ से काफ़ी अहम है.
अंडर-19 विश्व कप के बाद अब कुछ ही दिनों में सीनियर महिला खिलाड़ियों का टी-20 विश्व कप भी शुरू हो रहा है.
इसके बाद महिलाओं के आईपीएल, यानी वीमेन प्रीमियर लीग की भी शुरुआत हो जाएगी. डब्लूपीएल का ये पहला संस्करण होगा जिसमें दिल्ली की टीम भी शामिल है.
श्वेता घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए ही खेलती आई हैं. ऐसे में अगर वो डब्लूपीएल में भी दिल्ली के लिए ही खेलती हैं, तो परिवार को इसकी ज़्यादा ख़ुशी होगी.
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