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सक्रिय जीवन के लिये आवश्यक है दिल की विफलता का प्रबंधन- डॉ. मनाज़िर इक़बाल

बरेली: हृदय में विकार के होने से समूचा शरीर प्रभावित होता है, क्योंकि यह अंग शरीर में रक्त को पंप करता है। रक्त शरीर के अन्य हिस्सों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है। हृदय सही समय पर रक्त पंप नहीं करता है तो कई बीमारियों का कारण बन सकता है। रक्त छोटी नलिकाओं से होकर गुजरता है, जिन्हें रक्त वाहिकाएं कहते हैं। रक्त वाहिकाओं में अवरोध हृदय की की विफलता का कारण बन सकता है।
हृदय विफलता का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, मगर कई बार गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान करना, ट्रांस फैट वाले खाने का सेवन जैसे कुछ कारक कम उम्र में भी इस खतरे की संभावना को बढ़ाते हैं।
दरअसल, दिल विफलता एक ऐसी स्थिति है, जब हृदय प्रभावी ढ़ंग से रक्त पंप करने में असमर्थ होता है। यदि हृदय विफलता का इलाज नहीं किया जाए तो यह व्यक्ति के लिये जानलेवा हो सकता है। समय से साथ दिल की विफलता के उपचार असरदार और सुरक्षित हो रहे हैं।
इस बारे में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनाज़िर इक़बाल राव कहते हैं कि हृदय विफलता के विभिन्न कारणों और रोग की स्थिति के अनुसार इसके रोगियों के इलाज के लिये कई आधुनिक शोध पर विचार किये जा रहे हैं। कई उपचार विकल्प हृदय विफलता में मदद कर सकते हैं। हम अपने आस-पास कई ऐसे लोगों को देखते हैं, जो ऐसी स्थिति से गुजरने के बावजूद सक्रिय जीवन जीते हैं।
डॉ. सरिता राव. के अनुसार, दिल की विफलता का प्रबंधन जीवन भर करते रहना जरूरी है, लेकिन कुछ बुनियादी दिनचर्या को अपने जीवन में शामिल करके दिल की विफलता को इसकी सफलता में बदला जा सकता है। ऐसा करने के लिये व्यापक चिकित्सा प्रबंधन जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है।
चिकित्सा प्रबंधन के साथ जिन महत्वपूर्ण बदलावों को दैनिक जीवन में शामिल करने की जरूरत है उनमें हृदय को स्वस्थ रखने वाले आहार का पालन, निर्धारित दवाओं का सेवन, अपने शारीरिक लक्षणों की निगरानी, नियमित जांच परिक्षण, धूम्रपान से दूरी एवं तनाव का प्रबंधन आदि हैं। जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ जीवन काल को बढ़ाया जा सकता है।

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