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क्या हार्ट वाल्व की सिकुड़न को आयुर्वेदिक इलाज से ठीक किया जा सकता है ?

हृदय के वाल्व की सिकुड़न, जिसे हृदय वाल्व रोग या हृदय वाल्व की खराबी के रूप में जाना जाता है, को आयुर्वेदिक उपचार से ठीक किया जा सकता है।

आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने, बीमारियों को ठीक करने और रोकथाम के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचारों का उपयोग करती है।

आयुर्वेद के अनुसार, हृदय वाल्व की सिकुड़न के उपचार में निम्नलिखित दृष्टिकोण होते हैं:

1. दोषों का संतुलन करना:
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) से बना होता है। हृदय वाल्व की सिकुड़न के मामले में, तीनों दोषों के बीच असंतुलन हो सकता है।

एक वैद्य (आयुर्वेदिक चिकित्सक) शरीर के दोषों को संतुलित करने के लिए जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव की सिफारिश करता है।

2. जड़ी-बूटियों का उपचार:

कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हृदय वाल्व की सिकुड़न के उपचार में मदद कर सकती हैं। एक वैद्य विशिष्ट जड़ी-बूटियों की सिफारिश कर सकता है जो हृदय के कार्य में सुधार करती हैं और रक्त परिसंचरण को बढ़ाती हैं।

3. आहार और जीवनशैली में बदलाव:

एक वैद्य हृदय वाल्व की सिकुड़न के रोगी को आहार और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देता है। इसमें कम नमक वाला आहार, कम वसा वाला आहार, अधिक फाइबर वाला आहार और अधिक पानी पीना शामिल हो सकता है। इसके अलावा, रोगी को धूम्रपान छोड़ने, शराब से बचने और नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।

4. पंचकर्म चिकित्सा:

पंचकर्म एक आयुर्वेदिक शुद्धिकरण उपचार है जो शरीर को शुद्ध करने और दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। एक वैद्य रोगी को पंचकर्म चिकित्सा की सिफारिश करता है, जिसमें वमन (उल्टी), विरेचन (आंतों को साफ करना), बस्ति (आंत के माध्यम से शुद्धिकरण), और रक्तमोक्षण (रक्त निकालना) शामिल होते हैं।

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