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380 छात्र छात्राओं को उपाधियां प्रदान करते हुए राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल

बरेली। एमजेपी रूहेलखण्ड विष्वविद्यालय के सत्रहवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने 380 छात्र छात्राओं को उपाधियां भी प्रदान करते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि बच्चे ही देष का भविश्य होते हैं।

उच्च षिक्षा के साथ स्कूली स्तर की षिक्षा को भी बेहतर बनाने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी हाल में हुए कुछ “ाोधोंं में यह सामने आया है कि मानव में सीखने की 80फीसद प्रक्रिया आठ साल की उम्र तक पूरी हो जाती है।

बाकी जीवन में तो वह सिर्फ 20फीसद ही सीखता है। इसलिए उच्च षिक्षा के साथ प्राथमिक षिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर जोर देना होगा। लेकिन दुर्भाग्य से प्राथमिक षिक्षा पर उतना ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। गरीबी के चलते देष के अधिकांष भागों के बच्चे कुपोशण और इससे हाने वाली घातक बीमारियों का षिकार हो रहे हैं।

योगी सरकार ने सितम्बर माह में कुपोशण के खिलाफ विषेश अभियान चलाया है। उन्होंंने कहा कि वे राज्य के जिस भी जिले में किसी कार्यक्रम में जाती हैं वहां बच्चों को जरूर बुलाती हैं। इसलिए इस दीक्षांत समारोह में भी प्राथमिक विद्यालयों के कुछ छात्र छात्राओं को बुलाया है जिससे कम उम्र में ही उनमें षिक्षा के प्रति दिलचस्पी को बढ़ाया जा सके।

राश्ट्रीय सेवा योजना के तहत विष्वविद्यालय द्वारा पांच गांवों को गोद लेने पर खुषी जताते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रयास सराहनीय लेकिन नाकाफी है। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि विष्वविद्यालय से सम्बद्ध सभी 500 महाविद्यालय एक एक गांव को गोद ले लें तो इनका आसानी से विकास हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालय के हर षिक्षक, कर्मचारी और इस दीक्षांत समारोह से उपाधि लेकर निकले युवको और युवतियों को कम से कम एक कुपोशित और बीमार बच्चे को गोद लेकर उसका खर्च उठाने के अलावा उसकी देखभाल भी करनी चाहिए। इस तरह से आम लोगों के कुपोशण के खिलाफ जंग से जुड़ने पर इस समस्या से जल्द निजात मिलना मुमकिन है।

उन्होंने बताया कि प्रदेष के राजभवन ने 21 बच्चों को गोद लिया है। बेहतर स्वास्थ्य और षिक्षा मिलने पर ही बच्चे युवा बनने पर विष्व में दिनोदिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में टिक सकेंगे। उन्होंने कहा कि वैसे भी षिक्षा का मकसद सिर्फ अपनी रोजी रोटी और कमाई के लिए ज्ञान अर्जित करना नहीं है। सच्ची षिक्षा तो सहजीवन और सामाजिक समरसता भी सिखाती है।

उन्होंने कहा कि इस विष्वविद्यालय का नाम महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फूले से जुड़ा है। उन्होंंने समाज की समरसता के लिए ही जीवन भर काम किया था। उन्होंने उम्मीद जातई कि उनके जीवन से प्रेरणा लेकर यहां से उपाधि लेकर जा रहे सभी युवक और युवतियां समाज को बेहतर बनाने मेंं अपना योगदान देंगी। उन्होंने कहा कि षिक्षित युवाओं को दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि और ऋशिकेष के परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि छात्र छात्राओं को सिर्फ किताबी ज्ञान देने के बजाए उनमें संस्कार विकसित करने के प्रयास होने चाहिए। उनमें मानवीय गुणों का विकास होने पर ही जात पांत और सम्प्रदायवाद को खत्म किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों के लोग ‘‘ इवादत भले ही साथ न कर सकें लेकिन मुल्क की हिफाजत तो साथ मिलकर कर सकते हैं।‘‘ विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल “ाुक्ल ने कहा कि इस विष्वविद्यालय में छात्र छात्राओं के मानसिक विकास के साथ हृदय की संवेदनषीलता बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि छात्रों में चरित्र का विकास होने पर यह सुनिष्चित किया जा सकता है कि वे जहां कहीं भी होंगे, लोककल्याण की भावना से काम करेंगे। दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों में सर्वाधिक अंक पाने वाले 85 छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 20 “ाोध छात्र छात्राओं को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा 380 छात्र छात्राओं को उपाधियां भी प्रदान की गईं।

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