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देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश के आसार, फरवरी माह भी रहेगा ठंडा,मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान 

साल 2022 का दूसरा महीना फरवरी भी ठंडा रहेगा। मौसम विभाग ने सोमवार को जारी अपने पूर्वानुमान में बताया है कि फरवरी में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है, जबकि पंजाब और हरियाणा में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। मौसम विभाग द्वारा मासिक अनुमान में बताया गया है कि  पंजाब और हरियाणा को छोड़कर उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से कम बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग ने कहा, फरवरी 2022 में पूर्वोत्तर भारत के पूर्वी हिस्से, दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय इलाके और मध्य भारत के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को छोड़कर देश के ज्यादातर क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे बना रहेगा। इन इलाकों में सामान्य या सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने कहा कि ध्रुवीय प्रशांत क्षेत्र में इस समय कमजोर ला नीना परिस्थितियां सक्रिय हैं।

भीषण ठंड का संकेत है ला नीना

ला नीना मौसम संबंधित घटना है, जिसे भीषण ठंड से जोड़ा जाता है। विभाग ने बताया कि नवीनतम मानसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम के पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि ला नीना की परिस्थितियां उत्तरी गोलार्ध में वसंत के मौसम से कमजोर पड़ना शुरू होंगी। यह 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान तटस्थ स्थिति में पहुंचेंगी।

सरकारी प्रयासों से 96 शहरों में वायु गुणवत्ता सुधरी

 प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से देशभर के 96 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देने और वायु प्रदूषण को कम करने के अपने प्रयासों के तहत एक अप्रैल, 2019 को फेम योजना के दूसरे चरण को मंजूरी दी थी। पांच वर्ष की अवधि वाली इस योजना के तहत 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। लगभग 86 प्रतिशत फंड इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए खर्च होना है।

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि योजना के तहत 7,090 ई-बसों, 5 लाख ई-थ्री व्हीलर वाहनों, 55,000 ई-कार और 10 लाख ई-दोपहिया वाहनों के उत्पादन को समर्थन देकर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मांग पैदा करना है। सर्वे में बताया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट की आवश्यकता को हटा दिया गया है। सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से 96 शहरों में 2019-20 की तुलना में 2020-21 में पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 10 में कमी आई है।

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