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खाद की कमी के साथ ही रेत के अवैध उत्खनन को लेकर सरकार को घेरने की शुरू हुई तैयारी….

उत्खनन को लेकर सरकार को घेरने और माफिया के दबदबे को भी सदन में मामला गरमाने के बाद सड़क की लड़ाई लड़ने की योजना भी बनने लगी है।

खाद की कमी के साथ ही कालाबाजारी और नकली खाद की समस्या से जूझ रहे किसानों के इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से सदन में उठाने के साथ ही सरकार को घेरने की तैयारी के साथ भाजपा के विधायक सदन में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इसके अलावा रेत खदानों में अवैध खनन, भू-माफिया द्वारा जमीनों पर अवैध कब्जे और न कानून व्यवस्था सहित ज्लवंत मुद्दों पर विधायकों द्वारा सवाल लगाए जा रहे हैं। विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद विधायकों द्वारा विभिन्न् विभागों में सवाल लगाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है।

नई व्यवस्था के तहत विधायकों द्वारा आनलाइन सवाल लगाए जा रहे हैं। जवाब भी आनलाइन ही मिलेगा। जानकारी के अनुसार विधायकों ने खनिज, कृषि, सहकारिता और खा विभाग पर ज्यादा फोकस किया है। ख्ेाती किसानी को लेकर सवाल लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा जल संसाधन और पीडब्ल्यूडी विभाग में भी सवाल दागे जा रहे हैं। कानून व्यवस्था को लेकर भी विधायकों ने सवाल लगाया है।

खाद व बीज का उठेगा प्रभावी मुद्दा

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि मानसून के आगमन के साथ ही छत्तीसगढ़ में खेती किसानी का काम प्रांरभ हो गया है। किसानों को खाद की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कालाबाजारी के साथ ही आपूर्ति संकट भी गहराने लगा है। इससे किसानों की दिक्कतें कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। धमतरी में अजीबो गरीब स्थिति बनने लगी है। खाद की कमी को लेकर किसान सड़क पर उतर आए हैं। खेती किसानी के दिनों में किसान खेत के बजाय सड़क पर दिखाई तो यह समझ लेना चाहिए कि स्थिति गंभीर है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का देंगे हवाला

विधानसभा सत्र के दौरान नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों व नियमों की कड़ाई के साथ पालन कराने को लेकर राज्य शासन पर दबाव बनाने की रणनीति भी बनाई है। एनजीटी के नियमों की रेत माफिया लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं। 15 जून से रेत घाट पर उत्खनन बंद हो गया है। इसके बाद भी रेत का उत्खनन जारी है।

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