आज है विश्व कुष्ठ रोग दिवस
हर साल 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। गांधी जी बेहद दयालु प्रवृति के व्यक्ति थे। उन्हें समाज के सभी वर्गों के लोगों से बराबर स्नेह था। खासकर रोगियों के प्रति उनके मन में बेहद प्यार और दुलार था। गांधी जी छूआछूत के खिलाफ थे। उनका मानना था कि छूआछूत से समाज में असमानता फैलती है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए सफल प्रयास किया। इसके चलते उनकी पुण्यतिथि पर विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। हालांकि, इसकी शुरुआत फ्रांस के समाजसेवी ने की थी। अगर आपको नहीं पता है, तो आइए विश्व कुष्ठ रोग दिवस के बारे में सब कुछ जानते हैं-
जैसा कि हम सब जानते हैं कि विश्व कुष्ठ रोग दिवस हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देना और लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक करना है। कुष्ठ रोग दिवस मनाने की शुरुआत राउल फोलेरो ने सन 1954 ई में की शुरुआत की। उन्होंने (गांधी जी के कुष्ठ रोगियों के प्रति दया और स्नेह) यह दिवस गांधी जी को समर्पित किया है।
क्या है कुष्ठ रोग
यह एक जीर्ण संक्रमण रोग है। इससे त्वचा, श्वसन तंत्र, आंखें और तंत्रिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के चलते होती है। आधुनिक समय में इसका टीका उपलब्ध है। अतः कुष्ठ रोग अब संक्रामक नहीं है। हालांकि, मरीज के लगातार संपर्क में बने रहने से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए कुष्ठ रोग के मरीजों को टीका लेना चाहिए। वहीं, मरीज के आगुंतकों को भी आवश्यक सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए। पूर्व में कुष्ठ रोग के प्रति ऐसा मत था कि यह रोग छूने से फैलती है। यह सरासर गलत और भ्रामक है।
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