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महार्षि दयानंद सरस्वती की 200वी जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय आर्यकुंभ


आर्य समाज के संस्थापक तथा महानचिंतक महार्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर जनपद फिरोजाबाद के सिरसागंज स्थित आर्य गुरूकुल महाविद्यालय में कल से विराट आर्य महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों के स्वामी जी के अनुयायियों का बड़ी संख्या में आगमन होगा। स्वामी जी की जयंती को स्मरणोत्सव दिवस के रूप में उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग तथा आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है। इसमें केरल के राज्यपाल मो0 आरिफ खान, कल्कि पीठाधीष्वर आचार्य प्रमोद कृष्णन सहित अन्य महानुभाव पधारेंगें। इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह 16 नवम्बर को अपराह्न 3ः00 बजे करेंगें।
यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम करहल रोड़ स्थित आर्य गुरूकुल महाविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम (16-18 नवम्बर) के पहले दिन, विशाल दिव्य ज्ञान ज्योति रथयात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद योगाभ्यास एवं नाडी विज्ञान चर्चा तथा राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। अगले दिन वेद विज्ञान सम्मेलन, मातृ शक्ति सम्मेलन, व्यायाम प्रदर्शन, आदर्श परिवार सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे तथा अंतिम दिन पर्यावरण एवं विश्व कल्याण अग्निहोत्र तथा समापन सत्र का आयोजन होगा।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए पच्चीस बीघे में एक बडा प्रांगण बनाया गया है, जिसमें सभी सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित होंगी। सिरसागंज स्कूल एसोसिएशन के 3 हजार से अधिक बच्चे विभिन्न कलाओं जैसे लाठी, तलवार, भाला, रस्साकसी एवं डम्बल आदि का प्रदर्शन करेंगे। वहीं ललित कला अकादमी द्वारा भी लोक संगीत व लोक नृत्य से सम्बन्धित कार्यक्रम पेश किए जायेंगे। साथ ही कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दूर दराज से कवि आकर अपना काव्य पाठ करेंगे।  
श्री जयवीर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के लिए पूरे नगर को सजाया गया है। पहले दिन निकलने वाली शोभायात्रा में स्कूली छात्र अपना कौशल दिखाते हुए नजर आयेंगे और इसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने सबसे पहले स्वराज्य का नारा दिया था और सामाजिक कुरीतियों एवं पाखंडों तथा जाति प्रथा को समाप्त करने के लिए पूरे देश में भ्रमण करके लोगों को जागरूक किया था। स्वामी जी ने “वेदों की ओर लौटों” का नारा दिया। उन्होंने वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए मुबंई में आर्य समाज की स्थापना की थी।  

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