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23-24 अगस्त को गूँजेगा ‘वंदे मातरम’ का स्वर – स्वतंत्रता और संस्कृति का संगम

देश इस वर्ष स्वतंत्रता की 78वीं वर्षगाँठ मना रहा है और इसी के साथ जश्न-ए-अदब साहित्योत्सव भी अपनी 14वीं वर्षगाँठ का साक्षी बनेगा। इस विशेष अवसर पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 23 और 24 अगस्त को ‘वंदे मातरम’ नामक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

यह महोत्सव साहित्य, संगीत, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम होगा, जिसमें देश की समृद्ध परंपराएँ और नई पीढ़ी की ऊर्जा एक साथ देखने को मिलेगी। खास बात यह है कि कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क होगा और प्रतिभागी www.jashneadab.org पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

दो दिवसीय इस आयोजन में शास्त्रीय गायन, ग़ज़ल, लोकसंगीत, सूफी व पारंपरिक गीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा, पैनल चर्चाएँ, नाट्य और नृत्य प्रस्तुतियाँ होंगी। उद्घाटन शास्त्रीय संगीत और कथक से होगा, जिसके बाद साहित्यिक सत्रों में लेखक व कवि अपने विचार साझा करेंगे।

शाम को कवियों और शायरों की महफ़िल सजेगी, जिसमें फरहत एहसास, मंगल नसीम, गोविंद गुलशन, जावेद मुशिरी, रहमान मूसव्वर, गुलज़ार वानी और पवन कुमार जैसी हस्तियाँ शिरकत करेंगी। मंच पर अस्मिता थिएटर ग्रुप, मास्टर अधिराज चौधरी, विद्या लाल एंड ग्रुप और विद्या शाह जैसी प्रस्तुतियाँ भी होंगी।

दूसरे दिन की शुरुआत शास्त्रीय और पारंपरिक संगीत से होगी। इसके बाद हास्य और मनोरंजन के सत्र होंगे। शाम को कवि सम्मेलन और मुशायरा महोत्सव का सबसे आकर्षक हिस्सा बनेंगे, जिसमें पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा, स्वरांश मिश्रा, प्रो. वसीम बरेलवी, पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा और प्रो. अशोक चक्रधर अपनी प्रस्तुति देंगे।

जश्न-ए-अदब के संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान ने कहा—
“हमारा उद्देश्य केवल कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य और कला की जीवंतता को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है। ‘वंदे मातरम’ के माध्यम से हम शब्दों, सुरों और भावनाओं के जरिए देशभक्ति और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव मनाना चाहते हैं।”

यह आयोजन हर उम्र और रुचि के दर्शकों को आकर्षित करेगा। साहित्य प्रेमियों से लेकर संगीत, नृत्य और रंगमंच के दीवानों तक, हर किसी के लिए इसमें कुछ खास होगा। निस्संदेह, ‘वंदे मातरम’ केवल एक महोत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता का जीवंत उत्सव साबित होगा।

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