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केंद्र सरकार ने दिल्ली की ‘घर-घर राशन स्कीम’ को बताया गलत…

केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की घर-घर राशन पहुंचाने की योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के खिलाफ बताया है। केंद्र का कहना है कि दिल्ली सरकार की तरफ से घर-घर राशन पहुंचाने से वन नेशन वन राशन कार्ड का मकसद पूरा नहीं होगा। घर-घर राशन पहुंचाने की योजना से राशन में घोटाले की भी गुंजाइश बनी रहेगी। हालांकि केंद्र का यह भी कहना है कि उसका उद्देश्य सभी लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना है, चाहे वे किसी भी राज्य के हों। राज्य अपनी स्कीम चलाना चाहते हैं तो चला सकते हैं।

खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने बताया कि इन सभी मुद्दों पर ध्यानाकर्षित करते हुए उन्होंने दिल्ली सरकार को अपनी घर-घर राशन योजना पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा, लेकिन दिल्ली सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। खाद्य सचिव ने बताया कि घर-घर राशन पहुंचाने की स्कीम में कई कमियां हैं जो एनएफएसए के नियमों का उल्लंघन करती हैं।

राशन दुकान की मार्जिन लागत तक वहन करती है केंद्र सरकार

उन्होंने बताया कि वन नेशन वन राशन कार्ड का उद्देश्य देश के सभी राज्यों में राशन की एक कीमत रखना है। यही वजह है कि केंद्र सरकार सिर्फ राज्यों को राशन ही नहीं देती, एफसीआइ गोदाम से राज्यों में राशन पहुंचाने के ढुलाई खर्च को भी वहन करती है। राशन दुकान की मार्जिन लागत तक केंद्र सरकार वहन करती है। घर-घर राशन पहुंचाने की योजना से दिल्ली में राशन की कीमत बदल सकती है, क्योंकि पैकेजिंग का खर्च और पहुंचाने की लागत भी राशन में जुड़ सकती है।

खाद्य सचिव ने बताया कि दिल्ली में 35 फीसद लोग सालाना अपने आवास को बदलते हैं। ऐसे में वन नेशन वन राशन कार्ड योजना लागू होने पर पता बदलने के बाद भी लाभार्थी को राशन लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी, जबकि घर-घर योजना के तहत पता बदलने पर लाभार्थी को दिक्कत आ सकती है। उन्होंने बताया कि एनएफएसए में सरकार की वजह से राशन से वंचित व्यक्ति को खाद्य भत्ता देने की व्यवस्था है।

राशन के वितरण का नहीं रखा जा सकता इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ा 

पांडे ने बताया कि वन नेशन वन राशन कार्ड के तहत राशन की दुकान चलाने वाला दुकानदार पहले खुद ई-पॉज वाली मशीन से अपनी पहचान साबित करता है, तभी उस मशीन पर राशन लेने वाले का बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन हो पाता है। इससे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से यह पता लग जाता है कि किस इलाके में कितने राशन की आवश्यकता है और फिर उसी हिसाब से राशन का आवंटन होता है। घर-घर राशन पहुंचाने की योजना से न तो राशन दुकान चलाने वाले का और न ही राशन लेने वाले का इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन संभव है। राशन के वितरण का भी कोई इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ा नहीं रखा जा सकता है।

खाद्य सचिव ने कहा कि दिल्ली में वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम को लागू करना काफी आसान है, क्योंकि दिल्ली में सघन आबादी है और राशन की दुकानें कम हैं। दिल्ली में 72 लाख लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन का लाभ लेते हैं जिनके लिए दो हजार राशन की दुकानें हैं। दिल्ली में हर महीने 37,500 टन राशन केंद्र सरकार देती है जिन पर सरकार 1200 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है।

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