एस०सी०ई०आर०टी०, उ0प्र0 द्वारा आयोजित राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा-फाउण्डेशनल स्टेज (ैब्थ्-थ्ै) के विकास हेतु आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला
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राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा-फाउंडेशनल स्टेज के विकास हेतु राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला का आज दूसरा दिन था। तीन दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस दिनांक 20 जुलाई 2023 का शुभारम्भ अपर राज्य परियोजना निदेशक श्री मधुसूदन हुल्गी द्वारा किया गया। श्री हुल्गी जी ने सभी प्रतिभागियों एवं अतिथिवक्ताओं का आह्वाहन किया कि हम सभी को मिलकर एक ऐसी राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास करना है जो न केवल आज की आवश्यकताओं के अनुरूप हो बल्कि राज्य की स्थानीय विशेषताओं को भी ध्यान में रखता हो। उन्होंने एस०सी०ई0आर0ओ0 के कार्यों की सराहना करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि निश्चित रूप से उच्च गुणवत्तापूर्ण पाठ्यचर्या का निर्माण होगा। साथ ही उन्होंने शिक्षकों की भूमिकाओं के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए उनकी क्षमतावर्धन पर भी बल दिया।
द्वितीय दिवस के सत्र का प्रारम्भ एन0सी0ई0आर0टी0, नई दिल्ली के प्रोफेसर एण्ड हेड, प्रकाशन विभाग डॉ० अनूप राजपूत जी ने विकसित नवीन पुस्तकों एवं पाठ्यक्रम में शामिल किए गए विभिन्न आयामों के बारे में बताया। उन्होंने कई उदाहरणों के साथ इस बात को समझाने की कोशिश की कि बच्चों में अवधारणात्मक समझ का विकास एक शिक्षक के लिए अति आवश्यक है। स्वयं का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पुस्तकें लिखना प्रारम्भ किया तब गणित के प्रति उनका दृष्टिकोण और समृद्ध होने लगा। गणित को उन्होंने बच्चों के दैनिक जीवन एवं उनके अनुभवों से जोड़ने पर विशेष बल दिया ताकि बच्चे विभिन्न अवधारणाओं का वास्तविक जीवन में प्रयोग कर सकें। उनके द्वारा बताया गया कि एस०सी०एफ० में भी निर्माणकारी शिक्षण सिद्धांत, आलोचनात्मक चिंतन, विश्लेषणात्मक योग्यता, पंचकोशीय विकास के डोमेन, ज्ञान, कौशल, मूल्य अभिवृत्ति आदि को शामिल किया जाना चाहिए।
कार्यशाला में यूनिसेफ के एजुकेशन स्पेशलिस्ट श्री ऋत्विक पात्रा जी ने शिक्षकों को विभिन्न मुद्दों पर स्वयं से प्रश्न करने पर प्रेरित किया। शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने भी शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया तथा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के दौरान बच्चों को केन्द्र में रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान बदलती स्थितियों के अनुरूप पाठ्यचर्या में नवीन आयामों एवं नवीन रणनीति को भी जोड़ने पर बल दिया तथा अपेक्षा की कि इसमें कौशल विकसित करने के चरणों को क्रमबद्ध रूप से स्थान प्रदान किया जाए।
इसके उपरान्त आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान, प्रयागराज के प्राचार्य, डॉ० स्कंद शुक्ला ने बुनियादी स्तर के लिए भाषा शिक्षण, विशेष रूप से अंग्रेजी के विषय में एवं आकलन के तरीकों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि परिचित भाषा से लेकर अपरिचित भाषा तक के सफर को बहुत ही सहज ढंग से तय करने की जरूरत है और इसे एस०सी०एफ० में भी स्थान दिया जाना चाहिए।
केयर इंडिया की प्रतिनिधि सुश्री अनुष्ना झा ने आरम्भिक साक्षरता पर एवं सिन्ड्रेला बोस ने जेंडर समावेशन तथा सोशियो इमोशनल विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। स्टडी हॉल की सी०ई०ओ०, डॉ० उर्वशी साहनी ने विद्यालयों के आनंददायी वातावरण सृजन के घटकों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने सप्ताह में कम से कम एक बार जेंडर समावेशन सम्बन्धी कक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। प्री-प्राइमरी यूनिट, राज्य परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा की विशेषज्ञ श्रीमती शिखा शुक्ला ने प्रदेश में संचालित प्री-प्राइमरी शिक्षा की वर्तमान गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा ैब्थ् में इन कार्यक्रमों के स्कोप को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, एन०सी०ई०आर०टी०, भोपाल के असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ० गंगा महतो ने फाउंडेशनल साक्षरता के मुख्य आयामों पर चर्चा करते हुए अंग्रेजी विषय को किस प्रकार फाउण्डेशनल स्टेज में सम्मिलित करना चाहिए इस पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने भी बच्चों की मातृभाषा को आधार बनाते हुए ही अंग्रेजी भाषा के सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को अपनाने पर बल दिया।
उसके उपरान्त कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को 8 समूहों में विभाजित किया गया, जिन्होंने आवंटित विषय पर ैब्थ् की रूपरेखा के विकास पर कार्य किया। यह कार्य कार्यशाला के तीसरे एवं अंतिम दिवस में भी जारी रहेगा।
डॉ० पवन सचान, निदेशक एस०सी०ई०आर०टी० ने आमंत्रित प्रख्यात वक्ताओं एव विशेषज्ञों का स्वागत किया तथा अपेक्षा की कि सभी प्रतिभागी चर्चाओं में सक्रिय प्रतिभाग करेंगे और राज्य स्तर पर फाउंडेशन स्टेज के लिए तैयार की जा रही ैब्थ् में उसी के अनुरूप संबोधों को शामिल करेंगे। उन्होंने सभी विशेषज्ञों का आभार प्रकट किया और अभी तक किए गए कार्य के बारे में बताया। उन्होंने अपेक्षा की कि सभी प्रतिभागी विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझाव, अनुसंधान, अध्ययन व नीति दस्तवेजों के बेहतरीन आयामों को ैब्थ्.थ्ै में शामिल किया जाए ताकि राज्य की पाठ्यचर्या की रूपरेखा स्थानीय, राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर के मानकों के अनुरूप नागरिकों का विकास करने में सहायक सिद्ध हो सके। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश एक बेहतरीन पाठ्यचर्या की रूपरेखा विकसित करने वाला देश का अग्रणी राज्य बनेगा और इसमें आप सभी का योगदान सदैव स्मरण किया जाएगा।
उक्त कार्यशाला में श्रीमती दीपा तिवारी, उप शिक्षा निदेशक, श्रीमती पुष्पा रंजन, प्रशासनिक अधिकारी, श्री अजय कुमार गुप्ता, सहायक उप शिक्षा निदेशक, श्री रवि दयाल, शिक्षा अधिकारी, युनिसेफ, श्रीमती शिप्रा सिंह, प्रवक्ता (शोध), एस०सी०ई०आर०टी० के संकाय सदस्य, युनिसेफ के डॉ० महेन्द्र कुमार द्विवेदी व डॉ० शुभ्रांशु उपाध्याय सहित शिवनादर फाउण्डेशन, एल०एल०एफ०, विक्रमशिला, केयर इण्डिया, सेन्ट्रल स्क्वायर फाउण्डेशन तथा स्टडी हॉल के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
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